High Court in MP: More than 4 lakh cases pending in High...

High Court in MP: हाईकोर्ट में 4 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग, 1 जज पर 14 हजार मामले, रिटायर जज ने बताया कैसे सुलझाए जा सकते है केस

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Reported By: Nasir Gouri

Modified Date: January 21, 2025 / 03:49 PM IST
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Published Date: January 21, 2025 2:09 pm IST

ग्वालियर: High Court in MP मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लगातार बढ़ते मामलों और जजों की कमी का प्रभाव साफ देखा जा रहा है। वर्तमान में हाईकोर्ट में लगभग 4 लाख 62 हजार मामले पेंडिंग हैं। वहीं, न्यायाधीशों के कुल 53 स्वीकृत पदों में से केवल 33 जज ही कार्यरत हैं। 20 पद अभी भी खाली है। ऐसे में न्यायाधीशों पर प्रकरणों के निपटारे का भारी दबाव है। इसके अलावा, 2025 में चीफ जस्टिस के साथ 8 जस्टिस रिटायर हो रहे हैं। यानि एक जज पर औसतन 14 हजार औसतन मामलों का बोझ है। पेंडिंग मामलों की बढ़ती संख्या का एक मुख्य कारण न्यायाधीशों के रिक्त पद हैं। हालांकि, नए साल में नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की उम्मीद जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, हाई कोर्ट कॉलेजियम ने वकीलों के कुछ नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजे हैं। सुप्रीम कोर्ट की स्वीकृति के बाद ये नाम राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे।

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High Court in MP कुछ समय पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात कर न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने की मांग की थी। वहीं, पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजे गए कुछ नाम अब भी कानून विभाग के पास लंबित हैं। वहीं दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग बेटियों को प्रदेश में न्याय की सबसे बड़ी संस्था से भी न्याय के लिए सालों इंतजार करना पड़ रहा है। पिछले 24 साल में पॉक्सो के 4,928 मामले हाई कोर्ट में लंबित हैं। इन मामलों में कुल 5,243 आरोपी हैं। इनमें से 2,650 जेल में बंद हैं, जबकि 2,593 जमानत पर आजाद हैं। वहीं हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के रिटायर्ड प्रशासनिक जस्टिस रोहित आर्या ने बड़ा बयान दिया है। रोहित आर्या ने कहा है की अब हमें अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेडिशियल फोरम के बारे में सोचना होगा। कोई जरूरी नहीं है कि हर केस निर्णय न्यायालय में हो। बहुत से मसाले ऐसे हैं जो कि मध्यक्षता में सॉल्व कर सकते हैं, मैं ग्वालियर हाईकोर्ट की बेंच का प्रशासनिक जज था। तब ग्वालियर चंबल अंचल में एक दिन में 1 लाख 49 हजार केस निपटाएं थे, प्रदेश में 44 लाख केस निपटाए थें। इसलिए कार्यपालिका और जुडिशरी से कॉर्डिनेशन से केस खत्म हो सकते है। मेरा सुझाव है अगर साल में ऐसे दो या तीन प्रोग्राम, दो या तीन कैंप लगा दिया जाए। तो पूरे प्रदेश में एक करोड़ से ऊपर फाइनल बंद हो जाएंगीं। क्योंकि सबसे ज्यादा रेवेन्यू, फॉरेस्ट, इलेक्ट्रिसिटी, पुलिस ओर लोकल बॉडीज के मामले सबसे है।

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