IBC24 JanKarwan in Sukma: बस्तर के सबसे अशांत जिलों में शुमार सुकमा में आज हमारा जनकारवां आ पहुंचा। मतदाताओं से मिलने और लोगों की समस्याओं से रूबरू होने। आज सुकमा लाल आतंक के बीच भी विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा हैं। एक तरफ जहाँ सुकमा में नए अस्पताल खुल रहे हैं। बंद हो चुके स्कूलों में बच्चों का खेल कूद नजर आ रहा तो वही सुकमा धीरे धीरे ही सही लेकिन शान्ति की तरफ भी बढ़ा रहा। दशकों से लाल आतंक यानी माओवादी समस्या का दंश झेलते सुकमा यहाँ के लोगों से सीधी चर्चा करने हमारा जन कारवां आज बस्तर के इस धरती पर है।
सुकमा जिले का गठन 1 जनवरी 2012 को हुआ । इससे पहले ये दंतेवाड़ा जिले का हिस्सा हुआ करता था। यह छत्तीसगढ़ के सबसे दक्षिणी भाग में स्थित है। सुकमा जिले की सीमा तीन राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा से लगी हुई है। नक्सलवाद का दंश झेल रहे इस जिले को ‘पुलिस जिला’ का उपनाम दिया जाता है। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी इसी जिले में निवासरत है। यहाँ दोरला, गोंड, मारिया, मुरिया, धुरवा, हल्बा जनजातियां पाई जाती हैं। इसे सर्वाधिक वनाच्छादित और टिन उत्पादक जिले के रूप में भी जाना जाता है। छत्तीसगढ़ का पहला साइंस पार्क इसी जिले में स्थापित किया गया। यहां शबरी नदी पर कोंटा से लेकर आंध्र प्रदेश के कुंनावरम तक जल परिवहन की सुविधा है।
IBC24 JanKarwan in Sukma: लेकिन सुकमा की असल समस्या क्या हैं? सुकमा में सरकाओं के विकास के दावे कितने सही है और क्या यहाँ के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओ का लाभ पहुँच पाया? जानेंगे सबकुछ लेकिन उससे पहले यहाँ के चुनावी इतिहास पर एक नजर..
2018
कवासी लखमा कांग्रेस 31,933 35% 6,709
धनीराम बारसे भाजपा 25,224 28%
2013
कवासी लख्मा कांग्रेस 27,610 38% 5,786
धनी राम बरसे भाजपा 21,824 30%
2008
लख्मा कवासी कांग्रेस 21,630 31% 192
पदनाम नंदा भाजपा 21,438 31%
2003
कवासी लख्मा कांग्रेस 32,067 52% 17,398
मनीष कुंजाम सीपीआई 14,669 24%