IBC Pedia News: नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से देश में शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। हाल ही नई शिक्षा नीति को भी लागू किया गया है, जिसमें आधुनिक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में अब देशभर में पीएम श्री स्कूल खोले जाने हैं। पीएम श्री स्कूल के जरिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाए जाने की योजना है। दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कहा कि सरकार पीएम श्री स्कूल स्थापित करने की प्रक्रिया में है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, पीएम श्री स्कूल छात्रों के उज्जवल भविष्य को लेकर खोले जाएंगे, जो आधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगे और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की प्रयोगशाला होंगे।
ऐसे में सवाल है कि इन स्कूलों में क्या खास होगा और विद्यार्थियों को कौन सी सुविधाएं दी जाएगी। इसके अलावा जानते हैं कि सरकार के इस प्रोजेक्ट में क्या खास होगा और इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार की ओर से क्या दावे किए जा रहे हैं।
IBC Pedia news: बता दें कि अभी इन स्कूलों को लेकर कई जानकारी आना बाकी है और अभी सरकार की ओर से ये पहल है, जिसे लेकर पूरी भूमिका जल्द ही बनाई जाएगी। पीएम श्री स्कूलों को शिक्षा के लिए किस तरह से खास बनाया जा सकता है, इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और शैक्षणिक तंत्र की ओर से सुझाव देने के लिए कहा गया है। इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट या प्लान में बदलाव किए जाएंगे और उसी तरह से स्कूलों का निर्माण किया जाएगा।
अब बात करते हैं कि इन स्कूलों में क्या खास होने वाला है। केंद्रीय मंत्री की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इन स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जाएगा। इन स्कूलों की खास बात ये होगी कि इसमें सभी भाषाओं पर जोर दिया जाएगा, क्योंकि सरकार के अनुसार, कोई भी भाषा हिन्दी या अंग्रेजी से कमतर नहीं है। इन स्कूलों को मॉडल स्कूल की ओर तैयार किया जाएगा और स्कूलों का नाम पीएम श्री स्कूल होगा। इन स्कूलों में सिर्फ किताबी शिक्षा ही नहीं दी जाएगी, बल्कि इसके साथ ही स्किल एजुकेशन पर भी खास ध्यान दिया जाएगा।
बता दें कि हाल ही में जारी हुई शिक्षा नीति में 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 सिस्टम पर जोर दिया गया और इन स्कूलों में इसके आधार पर पढ़ाई करवाई जाएगी। इसके अलावा इन स्कूलों पर डिजिटल शिक्षा पर भी काफी जोर दिया जाएगा. वहीं, शिक्षा को ग्लोबल बनाने के लिए हमारे ई-कंटेंट विकसित करने की कोशिश की जाएगी।
बता दें कि नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया था। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद में 3 साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार साल (कक्षा 9 से 12) होंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को गुजरात में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर एक सम्मेलन के दौरान ये जानकारी दी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षा वह नींव है, जिस पर देश ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बन सकेगा। हम अपनी नई पीढ़ी को 21वीं सदी के ज्ञान और कौशल से वंचित नहीं कर सकते। भारत को एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए अगले 25 साल महत्वपूर्ण हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हम पीएम श्री स्कूल स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना होगा। ये अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए हर तरह की सुविधाओं से संपन्न होंगे। उन्होंने पीएम श्री स्कूलों के रूप में एक फ्यूचरिस्टिक बेंचमार्क मॉडल बनाने के लिए सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और पूरे एजुकेशनल इकोसिस्टम से सुझाव और फीडबैक की मांग की है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सम्मेलन में कहा कि सभी भारतीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं। कोई भी भाषा हिंदी या अंग्रेजी से कम नहीं है। राष्ट्रीय एजुकेशन पॉलिसी का यही सबसे प्रमुख फीचर है। इस दौरान शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति के तहत प्री-स्कूल से सेकेंडरी स्कूल तक 5+3+3+4 अप्रोच अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 21वी सदी के ग्लोबल सिटिजन तैयार करने के लिए टीचर्स ट्रेनिंग, एडल्ट एजुकेशन, स्कूली पढ़ाई में स्किल डेवलपमेंट को शामिल करने और मातृभाषा में पढ़ाई को तवज्जो देने की खासी भूमिका रहने वाली है।
इसके पहले भी केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने मुख्यधारा से इस तरह के कई प्रयोग किए है, इनमें से कुछ स्कूल अभी चल भी रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार भारत सरकार ने जवाहर नवोदय विद्यालय प्रारम्भ किए थे। प्रत्येक जिलों में आवासीय विद्यालयों की अवधारणा ‘नई शिक्षा नीति’ 1986 के अंतर्गत प्रकट हुई। सर्वप्रथम ऐसे विद्यालय प्रयोग हेतु खोले गए है।
सरकार की नीति के अनुसार, देश के प्रत्येक जिले में एक जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित किया जाना है। तद्नुसार, वर्ष 2016-17 के दौरान देश के विभिन्न जिलों में 62 नए नवोदय विद्यालय स्वीकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 10 जवाहर नवोदय विद्यालय अनुसूचित जाति जनसंख्या बहुल एवं 10 जवाहर नवोदय विद्यालय अनुसूचित जनजाति जनसंख्या बहुल क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्त 03 विशेष जवाहर नवोदय विद्यालय, सेनापति-II (मणिपुर), उखरुल-II (मणिपुर) तथा रतलाम-II (मध्य प्रदेश) में स्वीकृत किए गए हैं।
इस प्रकार कुल स्वीकृत जवाहर नवोदय विद्यालयों की संख्या 661 है। प्रत्येक विद्यालय के लिए कक्षाओं, शयन कक्षों, कर्मचारी आवासों, भोजन-कक्ष तथा अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे खेल के मैदान, कार्यशालाओं, पुस्तकालय एवं प्रयोगशालाओं इत्यादि के लिए पर्याप्त भवनों से युक्त सम्पूर्ण परिसर की व्यवस्था है। नए नवोदय विद्यालयों को खोलने का निर्णय राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर आधारित होता है कि वह विद्यालय के लिए लगभग 30 एकड़ भूमि (प्रत्येक मामले के आधार पर छूट सहित) निःशुल्क उपलब्ध कराने के साथ-साथ, विद्यालय को तब तक चलाने के लिए उपयुक्त अस्थायी भवन का प्रबंध करेगी जब तक कि विद्यालय के स्थायी भवन का निर्माण पूरा नहीं हो जाता।
केन्द्र सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान को बढ़ावा देने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना के निर्देशन में देशभर में 750 आवासीय स्कूल खोलने का प्रावधान किया है। इस योजना का शुभारम्भ 2006-07 में किया गया। इन विद्यालयों में कम से कम 75% सीटें अनुसूचित जाति व जनजाति, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए आरक्षित होगीं बाकि 25% गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की बालिकाओं के लिए होंगी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को सार्थक बनाने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में जुलाई 2019 से 12 वीं तक की पढ़ाई कराने का निर्णय लिया गया था। इसके पहले कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कक्षा 6 से 8 तक ही संचालित थे।
सभी लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देना।
सभी बालिकाओं के लिए आवास उपलब्ध कराना।
लड़कियों के लिए पुस्तकें तथा शिक्षण सामग्री मुफ्त में उपलब्ध करवाना।
विषम परिस्थितियों में जीवन-यापन करने वाली लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय के माध्यम से गुणवत्ता युक्त प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराना है।
बालिकाओं के माता-पिता/अभिभावकों को प्रेरित करना ताकि लड़कियों को विद्यालयों में भेजे।
एक स्थान से दूसरे स्थान घूमनेवाली जाति या समुदायों की लड़कियों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना।
लड़कियों को स्कूल यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोज़े आदि मुफ्त में देना।
ऐसी लड़कियों पर ध्यान देना जो विद्यालय से बाहर (अनामांकित) हैं तथा जिनकी उम्र 10 वर्ष से ऊपर है।
बालिकाओं को दैनिक उपयोग वस्तुओं इत्यादि उपलब्ध करना।
हर महीने 100/- बालिकओं के व्यक्तिगत बैंक खाते में जमा कराया जाना जिससे उनकी कुछ जरूतमंद चीजों को पूरा किया जा सके।
भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2018 के बजट सत्र में बोलते हुए कहा कि सरकार आदिवासी बहुत क्षेत्रों में ‘एकलव्य स्कूल’ खोलेगी। सबसे ख़ास बात है कि एकलव्य के मॉडल स्कूल का आइडिया नया नहीं है, ऐसे स्कूल पहले संचालित हो रहे हैं, जिनको केंद्र सरकार विस्तार देना चाहती है।
एकलव्य स्कूलों की स्थापना आदिवासी बहुल ब्लॉकों में की गई है, जहाँ की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी (20 हजार से अधिक जनसंख्या) आदिवासी समुदाय की है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान के सिरोही ज़िले के पिण्डवाड़ा ब्लॉक।
एकलव्य स्कूल आवासीय विद्यालय होंगे, जो नवोदय की तर्ज़ पर बनेंगे। नवोदय विद्यालयों में ग्रामीण और आदिवासी अंचल के प्रतिभाशाली बच्चों को प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद कक्षा 6 में प्रवेश दिया जाता है और ऐसे बच्चे 6 से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करते हैं।
सरकार की मंशा है कि आदिवासी इलाक़ों से आने वाले बच्चों को उन्हीं के परिवेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। 12वीं तक की शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने की सरकार की तरफ से क्या योजना है, इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
आदिवासी अंचल के बहुत से विद्यालय अकेले शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। सरकारी स्कूलों में संसाधनों का अभाव है, ऐसे में इस तरह के विद्यालयों से आदिवासी अंचल में अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के प्रयासों को गति मिलेगी।
इन विद्यालयों में आदिवासी अंचल की स्थानीय कला, संस्कृति, खेलों और कौशल विकास को बढ़ावा दिया जायेगा।