खंडवा। Kishore kumar birthday : बॉलीवुड के महान गायक किशोर कुमार के जन्मदिवस पर आज “IBC24” आपको बताने जा रहा है, फिल्म इंडस्ट्री के हरफनमौला कलाकार कहे जाने वाले किशोर कुमार के बारे में कुछ दिलचस्प बातें। आज किशोर कुमार का 93वां जन्मदिन है। गायक के साथ किशोर कुमार एक संगीतकार, एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर भी थे। आज जन्मदिन पर किशोर दा को उनका हर प्रशंसक याद कर रहा है। बड़ी संख्या में किशोर प्रेमी उनकी समाधि पर दूध जलेबी का भोग लगाकर, उनके गीत गाकर उन्हें याद कर रहे हैं। वही मध्य प्रदेश सरकार भी आज किशोर कुमार के जन्मदिवस को खंडवा के गौरव दिवस के रूप में मना रही है…>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में रहने वाले बंगाली परिवार में हुआ था। किशोर अपने चार भाई–बहनों में सबसे छोटे थे। किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था। खंडवा में शुरूआती पढ़ाई करने के बाद किशोर कुमार ने अपने कॉलेज की पढ़ाई इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में की। किशोर कुमार ने कॉलेज की कई यादों को अपने गानों में सहेजा है। फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ का गीत ‘पांच रुपए बारह आना’ भी किशोर की कॉलेज की यादों से ही जुड़ा है। कॉलेज में किशोर पर कैंटीन वाले के 5 रुपए 12 आने उधार थे। किशोर कुमार ने अपने गाने में भी यही रकम शामिल की।
किशोर कुमार के फिल्मी करियर की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में वर्ष 1946 में फिल्म शिकारी से हुई। किशोर कुमार की आवाज राजेश खन्ना पर बेहद फिट बैठती थी। राजेश खन्ना फिल्म निर्माताओं से किशोर से ही अपने लिए गीत गंवाने की गुजारिश किया करते थे। आप भी सुनिए किशोर दा के सुपर हिट गीत जो उन्हें राजेश खन्ना के लिए गाए थे… मेरे सपनों की रानी… प्यार दीवाना होता है… मस्ताना होता है… ये शाम मस्तानी… किशोर कुमार आज भले ही हमारे बीच नहीं हो, लेकिन उनकी मधुर आवाज देश के करोड़ों गीत प्रेमियों के दिलों पर राज करती है। आज भी उनके गाए हुए गीत लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैं। किशोर कुमार ने भले ही सफलता की ऊंचाइयों को छू लिया था। मगर उनके दिल में हमेशा एक मस्तीखोर किशोर बसता था।
किशोर कुमार ने अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग से 50-60 के दशक में अपनी कॉमेडी से सबको खूब हंसाया। किशोर कुमार 1970 से 1987 के बीच सबसे महंगे गायक थे। किशोर कुमार ने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, जीतेन्द्र जैसे बड़े-बड़े दिग्गज कलाकारों के लिए बने गानो को आवाज दी।
किशोर कुमार कई बार विवादों का भी शिकार हुए। सन् 1975 में देश में लगाये गये आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्यौता मिला। किशोर कुमार ने पारिश्रमिक मांगा तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गायन को प्रतिबंधित कर दिया गया। आपातकाल हटने के बाद पांच जनवरी 1977 को उनका पहला गाना बजा… दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना, जहां नहीं चैना वहां नहीं रहना…
किशोर कुमार को अपनी जन्मभूमि खंडवा से बेहद लगाव था। वह अपने दोस्तों को मेरा नाम किशोर खंडवा वाला… किशोर कुमार को खंडवा में उनके दोस्त लालाजी की दुकान में बनी दूध–जलेबी बहुत पंसद थी। किशोर कुमार खंडवा आते तो अपने दोस्तों के साथ लालाजी की दुकान पर जाकर दूध–जलेबी जरूर खाते थे। यही नही वह अक्सर मुंबई में भी अपने दोस्तों से कहते थे, दूध–जलेबी खाएंगे खंडवा में ही बस जाएंगे.
बॉलीवुड में एक ऐसा दौर भी आया जब किशोर कुमार मायानगरी बंबई की चकाचौंध से दूर अपने गृह नगर खंडवा में बस जाना चाहते थे। वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने निर्णय लिया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौट जायेंगे। लेकिन अब खंडवा में किशोर कुमार का वही पुश्तेनी मकान जिसमे में वह बस जाना चाहते थे, वह आज जर्जर हालत में है। घर के अंदर रखा सामान मानों आज भी किशोर दा की प्रतीक्षा कर रहा है… खंडवा में पिछले 40 सालों से उनके घर की देखभाल करने वाले चौकीदार सीताराम का कहना है, कि 1987 में किशोर कुमार आखिरी बार खंडवा आये थे और उन्होंने उनसे अपने घर की साफ़–सफाई अच्छी तरह से करने को कहा था। ताकि इस बार मुंबई में नही खंडवा में दीपावली मनाई जा सके। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। 13 अक्तूबर1987 को किशोर कुमार का देहांत हो गया..