अमिताभ भट्टाचार्य, पखांजुर:
Filth Spread In Hospital: कहा जाता है कि स्वच्छता ही अच्छे स्वास्थ्य की जननी है। हमारा परिवेश साफ-स्वच्छ रहेंगे तो रोगों के फैलने का खतरा भी बहुत कम रहेगा। क्योंकि बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता बेहद जरूरी है। जिसके लिए स्वच्छता को लेकर सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। लेकिन पखांजुर में स्थित सिविल अस्पताल परिसर में स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाता नजर आ रहा है। पूरे परिषर में गंदगियां पसरी हुई है। मसलन स्वच्छता को लेकर कोई अफसर गम्भीर नहीं है। जिसके चलते इलाज कराने आये मरीजों को बदबू से परेशान होना पड़ता है।
अस्पताल के अंदर से खिड़की खुलते ही मरीजों को अपना मुंह ढ़कना पड़ता है। मरीजों के अलावा अस्पताल के आसपास के रहवासियों को भी बदबू और मच्छरों से परेशान होना पड़ रहा है। जिससे अस्पताल में बीमारी का इलाज करवाने आए मरीजों के और ज्यादा बीमार होने की आशंका बढ़ गई है।
पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं
ऐसा प्रतीत हो रहा कि यहां बीमारियों को गंदगी के जरिए दावत दी जा रही है। अव्यवस्थाओं का आलम यहीं थमने वाला नहीं है। गन्दगी के अलावा पेयजल की भी समस्या यहां बनी हुई है। सौ बिस्तरा वाले पखांजुर के इस सिविल अस्पताल में मरीजों और उनके साथ आए परिजनों को पीने के लिए समुचित पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पूरे अस्पताल परिसर में एक मात्र 15 लीटर छमता का आरओ लगा हुआ है। उसकी टोटी भी खराब है जिस कारण आरओ में पानी भरते ही बूंद-बूंद कर गिर जाता है।
अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ भी परेशान
इसके अलावा अस्पताल परिसर में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मरिजों को बाहर दुकानों से बोतल बंद पानी लेना पड़ रहा है। अस्पताल परिसर में कोई हैंड पंप भी नहीं है जिससे पानी भर कर लाया जा सके। अस्पताल में मरिजों को पीने के पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण अस्पताल के सभी मरीज से लेकर अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ भी परेशान है।स्टाफ अपने घरों से बोतल में पानी ला रहे हैं तो मरीज बाहर से बोतल बंद पानी खरीदने को मजबूर है।
Filth Spread In Hospital: वहीं इस पूरे मामले में खंड चिकित्सा अधिकारी ने आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है कि जल्द ही व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि आखिर अब तक तमाम अव्यवस्थाओं पर अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अफसरों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया। बरहाल वक्त ही बताएगा कि चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार अफसर अब कब अपनी जिम्मेदारियों को निभाएंगे और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करेंगे।
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