Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025: हाथी-घोड़े पर सवार होकर नागा साधुओं ने निकाली पेशवाई, अलौकिक श्रृंगार के साथ किया अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन

Mahakumbh 2025: हाथी-घोड़े पर सवार होकर नागा साधुओं ने निकाली पेशवाई, अलौकिक श्रृंगार के साथ किया अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन

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Modified Date: January 8, 2025 / 02:12 PM IST
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Published Date: January 8, 2025 2:12 pm IST

अयोध्या: आस्था की भूमि प्रयागराज जहां धर्म का सबसे बड़ा आयोजन होने जा रहा है। आस्था-विश्वास का महापर्व महाकुम्भ इस साल 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हो रहा है। 50 दिन से ज्यादा चलने वाले इस पर्व में देश-दुनिया से करोड़ों लोग स्नान करने आएंगे। मान्यता है कि गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। जैसे जैसे महाकुंभ की तारीख नजदीक आ रही है। उसके साथ ही महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश के कोने कोने से साधु संत यहां पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही इस शुभ अवसर से पहले भारत के प्रमुख 13 अखाड़े एक-एक करके प्रयागराज के नगर में प्रवेश करेंगे। इसी बीच वैष्णव समुदाय ने पेशवाई निकाली है। यह पेशवाई शस्त्र पूजन कर आरंभ की गई।

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पेशवाई शहर का भ्रमण कर संत समागम स्थित अपने पंडाल में पहुंचेंगे। पेशवाई के दौरान नागा साधु विभिन्न करतब दिखाते हुए नजर आ रहे हैं। वैष्णव समुदाय के अखाड़ों को देखने एवं नागा-साधुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने सड़कों के किनारे श्रध्दालुओं की भीड़ भक्ति भाव और रोमांच के साथ उमड़ पड़ी है।

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आपको बता दे कि महाकुम्भ मेला क्षेत्र में 14 जनवरी को पहला शाही स्नान पर्व है। इस दिन सभी 13 अखाड़े राजसी अंदाज में रथों पर सवार होकर गाजे-बाजे के साथ भक्तों के साथ मेले में संगम स्नान करने जाएंगे। बता दें कि मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण भी हो जाते हैं। इस लिए इस स्नान पर्व का अपना अलग महत्व होता है।

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महाकुंभ 2025 प्रयागराज कब शुरू होगा?

महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी से होगा। यह आयोजन 50 दिन से अधिक चलेगा और इसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु शामिल होंगे।

महाकुंभ का पहला शाही स्नान कब होगा?

महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगा। इस दिन सभी 13 अखाड़े राजसी अंदाज में संगम में स्नान करेंगे।

पेशवाई क्या होती है, और इसका महत्व क्या है?

पेशवाई अखाड़ों का भव्य प्रवेश जुलूस होता है, जिसमें नागा साधु, वैष्णव साधु, और अन्य संत रथों पर सवार होकर शहर का भ्रमण करते हैं। यह संत समाज के संगम क्षेत्र में आगमन का प्रतीक है और श्रद्धालु इस दौरान उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मकर संक्रांति पर संगम स्नान का महत्व क्या है?

मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन संगम में स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा धार्मिक विश्वास है।

महाकुंभ 2025 में मुख्य आकर्षण क्या होंगे?

महाकुंभ में शाही स्नान, अखाड़ों की पेशवाई, नागा साधुओं के करतब, साधु-संतों का समागम, और गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम में स्नान मुख्य आकर्षण होंगे। यह आयोजन आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा मेला है।
 
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