How Effective is issue of 'Nationalism' for BJP in Lok Sabha Elections?

The Big Picture With RKM: Pok पर दांव इस बार… पॉलिटिक्स ‘सीमा’ पार, बीजेपी के लिए ‘राष्ट्रवाद’ का मुद्दा कितना कारगर?

Pok पर दांव इस बार... पॉलिटिक्स 'सीमा' पार, How Effective is issue of 'Nationalism' for BJP in Lok Sabha Elections?

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Modified Date: May 23, 2024 / 12:36 AM IST
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Published Date: May 23, 2024 12:08 am IST

रायपुरः Effective of ‘Nationalism’ for BJP देश में नई सरकार चुनने के लिए मतदान अब अंतिम चरण पर है। सात चरणों में होने वाली निर्वाचन प्रक्रिया के अब केवल दो ही चरण बाकी है। पहले चरण से नीरस लग रहा चुनाव राम मंदिर, पाकिस्तान, हिंदू मुसलमान, आरक्षण अब राष्ट्रवाद और पीओके (PoK) तक पहुंच गया है। पीओके को लेकर भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के दिग्गजों के बीच जमकर सियासत हो रही है। पीओके को फिर से कब वापस लिया जा सकता है, इस पर भी बयान सामने आ रहे हैं। तो क्या अब ये मान लिया जाए कि इस बार आम चुनाव में राष्ट्रवाद की अधिकारिक एंट्री हो गई है? तो चलिए समझते हैं..

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Effective of ‘Nationalism’ for BJP इस समय लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण चल रहा है। वोटिंग के लिए अब केवल दो ही चरण बचे हैं। ऐसे में अब पार्टियां प्रचार के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इस दौर में एक बार फिर राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी हो रहा है। पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान जैसे बीजेपी के बड़े नेता अपने भाषणों में पीओके(POK) यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बारे में चर्चा कर रहे हैं और लगातार कह रहे हैं कि पीओके हमारा था, हमारा है और आगे हम इसे लेकर रहेंगे। पिछले दो-तीन दिनों से इसे लेकर बीजेपी नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान छौंक की तरह काम किया। योगी का यह बयान बड़ा भी था, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर आप मोदी की सरकार बनाते हैं तो सरकार बनने के 6 महीने के अंदर हम पीओके को भारत में शामिल कर लेंगे। अगर हम विरोधी खेमे की तरफ देखें तो विरोधी खेमा इस मुद्दे को लेकर पहले से ही डिफेंसीव मोड पर हैं। इसके दो कारण है। पहले कारण के रूप में मणिशंकर अय्यर के बयान को देखा जाना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें पाकिस्तान की तरफ इज्जत से देखना चाहिए क्योंकि उसके पास परमाणु बम है। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि आप ऐसे कैसे पीओके को ले लेंगे, उनके लोगों ने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी है। अब इस तरीके के बयान पाकिस्तान के प्रति भारतीयों के मानसिकता के खिलाफ जाता है। भारतीय नागरिक समझते हैं कि पाकिस्तान से हमारा देश हर मामले को लेकर बड़ा है। पाकिस्तान से हम मजबूत हैं। नेताओं का इस तरह का बयान भारतीय मानसिकता के खिलाफ जाता है। यहीं से बीजेपी और पीएम मोदी ने इस मुद्दे को ले उड़े। इसके बाद उन्होंने मजबूत भारत और राष्ट्रवाद का नरेटिव सेट करना शुरू किया। यहां एक और बात उल्लेखनीय हो जाता है कि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर पीएम मोदी ने 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर आ चुके हैं। केवल एक राष्ट्रवाद के मुद्दे पर पिछली लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत मिली थी। उस समय पीएम मोदी और बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने कहा था कि हम अब ऐसे भारत बन चुके हैं, जो घर में घुसकर मारते हैं।

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बीजेपी अजमाया हुआ अस्त्र है राष्ट्रवाद का मुद्दा

राष्ट्रवाद का मुद्दा बीजेपी और मोदी का अजमाया हुआ अस्त्र है। शुरुआत से हम देखें तो जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कहा था कि मेरा सीना 56 इंच का है। हम किसी को छेड़ते नहीं है। अगर हमें कोई छेड़े तो उसको छोड़ते नहीं है। इस तरीके की बात राजनाथ सिंह भी आजकल करने लगे हैं। एक बात और है कि पिछले दिनों पाकिस्तान और कनाडा में भारत के दुश्मनों को अज्ञात लोगों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। भले ही इसके ऊपर स्थिति साफ नहीं, लेकिन दबे स्वर से इसे भी माना गया कि यह मजबूत भारत की ही सफलता है। भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद के इस एजेंडे को अब आखिरी के दो चरणों की जो 100 सीटों पर सेट करने की कोशिश कर रही है। क्योंकि यह बीजेपी का अजमाया हुआ अस्त्र है और यह निशाने पर जरूर लगता है।

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