भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश में रेप और महिलाओं के खिलाफ हिंसा की खबरें डरा रही हैं, दहला रही हैं दहशत पैदा कर रही हैं। क्योंकि हर नई वारदात पहले के मुकाबले ज्यादा जघन्य होने लगी है । विपक्ष शोर मचा रहा है, सरकार बचाव में लगी है, लेकिन इसके बीच मुद्दा यही है कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध क्यों बाड़ तोड़ रहे हैं। हमारी मौजूदा व्यवस्था ऐसे अपराधों के सामने पस्त क्यों दिख रही है। क्या हम समस्या के समाधान की बजाय कहीं और फोकस कर रहे हैं या समस्या की ओर पीठ किए खड़े हैं?
वाकई मध्यप्रदेश में अपराधियों के हौसले बहुत बुलंद है। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ रहे हैं महिलाएं, बच्चियां कोई सुरक्षित नहीं है। जरा इन दो खबरों को देखिए, पहली खबर है खंडवा से जहां छेड़छाड़ पीड़िता युवती को पड़ोस के युवक ने जिंदा जलाकर मारने की कोशिश की है। वहीं दूसरी खबर है सीधी की जहां नाबालिग की आत्महत्या के बाद परिजनों ने गैंगरेप का आरोप लगाया है। आरोप ये भी है कि आरोपी नाबालिग को परेशान करते थे और छेड़छाड़ का वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहे थे।
Face To Face Madhya Pradesh: इन तमाम मुद्दों को लेकर कांग्रेस लगातार मोहन सरकार को घेर रही है। कांग्रेस के नेता भाजपा विधायकों को ज्ञापन दे रहे हैं जिस पर भाजपा नसीहत दे रही कि कांग्रेस नेताओं को समीक्षा करनी चाहिए कि उसके नेताओं ने महिलाओं बहनों को लेकर किस-किस प्रकार के स्टेटमेंट दिए हैं। माननीय सांसद शायद भूल रहे हैं कि मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार अगर बढ़ रहे हैं तो जिम्मेदारी सरकार की है और जरूरत एक्शन की है, ना कि नसीहत की अब इसे लेकर ही सियासी वार पलटवार हो रहा है। इस सियासी शोर से इतर सवाल ये है कि आखिर कब तक होती रहेगी बेटियों से दरिंदगी और देश का दिल कब बनेगा बेटियों के लिए सुरक्षित जगह ?
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