World Asthma Day: Health Desk। आज देश-दुनिया में हर जगह विश्व अस्थमा दिवस मनाया जा रहा है। वर्तमान में अस्थमा को एक आम बीमारी के रूप में देखा जाता है। लेकिन यह बेहद खतरनाक बीमारी है। अस्थमा शरीर के वायुमार्ग में सूजन के होने के कारण होता है। अस्थमा रोगियों के लिए कुछ स्थितियों में कुछ सामान्य रूप से सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऐसे रोगियों को नियमित रूप से ट्रिगर करने वाली चीजों से बचाव करते रहने की सलाह देते हैं। वे लोग जो अस्थमा से पीड़ित है उन्हें आहार, जीवनशैली और दिनचर्या का विशेष ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। इसके साथ ही अस्थमा रोगियों को अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में योग-व्यायाम को शामिल करना चाहिए। प्रतिदिन योग-व्यायाम करने से अस्थमा की स्थिति में लक्षणों को गंभीर रूप लेने से काफी हद तक बचाया जा सकता है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अस्थमा रोगियों के लिए नियमित रूप से प्राणायाम का अभ्यास करना बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। वायुमार्ग को शुद्ध करने और इसके सूजन को कम करने के लिए कपालभाति – भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास आपके लिए लाभदायक हो सकता है। ये अभ्यास आपके फेफड़ों की ताकत बढ़ाने के साथ सांस लेने को सहज बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं। प्राणायाम के नियमित अभ्यास की आदत अस्थमा को ट्रिगर करने वाले कारकों को कम करने में आपके लिए सहायक है। तो आज विश्व अस्थमा दिवस पर हम आपको कुछ खास व्यायाम की जानकारी देंगे जो आपको अस्थमा से बचाव में मदद करेंगी।
अस्थमा रोगियों की जटिलताओं को कम करने में कोबरा पोज या भुजंगासन योग के अभ्यास की आदत आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। यह योग छाती और फेफड़ों को खोलने के साथ रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) में सुधार करती है, जिससे अस्थमा रोगियों के लिए काफी आवश्यक माना जाता है। कोबरा पोज के नियमित अभ्यास से अस्थमा पीड़ितों के सांस लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने के साथ ही फेफड़े और वायुमार्ग के स्वस्थ रखने में काफी मददगार हो सकता है।
पश्चिमोत्तानासन योग अस्थमा रोगियों के लिए विशेष लाभकारी व्यायाम माना जाता है। बैठकर आगे की ओर झुकने का अभ्यास फेफड़ों और पेट के लिए काफी कारगर माना जाता है। सांस की जटिलताओं को कम करने और समस्याओं को ट्रिगर होने से बचाने में इस योग की आदत आपके लिए विशेष लाभकारी मानी जाती है। इसके अलावा यह योगासन पेट पर जमे वसा को कम करने और रीढ़ की हड्डी की स्ट्रेचिंग में भी काफी सहायक है।
लोटस पोज या अस्थमा और सांस की समस्याओं से परेशान लोगों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। फेफड़ों को स्वस्थ रखने के साथ यह आसन पीठ के निचले हिस्से और कूल्हे की मांसपेशियों के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। रीढ़ की हड्डी की विकृतियों को कम करने के साथ कमर-पीठ की समस्याओं से राहत दिलाने और गहरी सांस लेने में मदद करने के लिए रोजाना इस योग के अभ्यास की आदत बनाएं।
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