चंडीगढ़ः Contract Employees Regularization Order News लंबे समय से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे संविदा कर्मचारियों को आखिरकार नए साल से पहले सौगात मिल ही गई। प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब देते हुए कहा है कि दो हफ्ते के भीतर संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का पत्र दिया जाएगा। यानि नए साल में संविदा कर्मचारियों को उम्र भर की खुशियां एक साथ मिलने वाली है। बताया जा रहा है कि कोर्ट में जवाब देने के बाद सरकार ने नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
Contract Employees Regularization Order News मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने अस्थायी कर्मचारियों द्वारा दायर अवमानना याचिका के जवाब में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में यह जानकारी दी है। सरकार के जवाब के बाद मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस हरकेश मनुजा ने स्पष्ट किया कि यदि हरियाणा सरकार द्वारा उपरोक्त अवधि के भीतर आवश्यक कार्यवाही नहीं की जाती है तो याचिकाकर्ता वर्तमान अवमानना याचिका पर दोबारा सुनवाई करने की मांग करने के लिए स्वतंत्र होंगे और ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारी मुकदमेबाजी के खर्च के लिए प्रत्येक याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपये की राशि अपनी जेब से देने के लिए उत्तरदायी होंगे। याचिकाकर्ताओं ने राज्य में 20 साल से अधिक समय से कार्यरत ऐसे सभी अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए हाई कोर्ट द्वारा 13 मार्च को पारित आदेश को लागू नहीं करने के लिए मुख्य सचिव हरियाणा के खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश मांगे थे।
हाई कोर्ट ने यमुनानगर निवासी ओमप्रकाश व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि जब राज्य सरकार ने अस्थायी कर्मचारियों को उस पद पर सेवा जारी रखने की अनुमति दे दी है जिस पर उन्हें नियुक्त किया गया था, तो इसे यह नहीं माना जा सकता कि संबंधित पद के लिए कोई नियमित कार्य नहीं है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब कोई कर्मचारी एक दशक से अधिक समय तक काम कर चुका है और उस पद का कार्य मौजूद है, तो राज्य का यह कर्तव्य है कि वह पद सृजित करे ताकि उक्त कर्मचारी को सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सके। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते, राज्य को अपने कर्मचारियों की देखभाल करनी चाहिए और ऐसे निर्णय नहीं लेने चाहिए जो कर्मचारियों के नियमितीकरण के दावे को खारिज कर सकें।
संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया हाल ही में शुरू की गई, जब हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में यह सुनिश्चित किया कि दो हफ्ते के भीतर कर्मचारियों को नियमितीकरण का पत्र प्रदान किया जाएगा।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्यवाही नहीं की जाती है, तो याचिकाकर्ता दोबारा सुनवाई की मांग कर सकते हैं, और संबंधित अधिकारियों को मुकदमेबाजी के खर्च के लिए जुर्माना भरना होगा।
हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि अगर कोई कर्मचारी 10 साल से अधिक समय से काम कर रहा है और संबंधित पद पर कार्य जारी है, तो राज्य सरकार को उस पद को नियमित करना चाहिए और कर्मचारियों को स्थायी सेवाओं में लिया जाए।
यह निर्णय केवल हरियाणा राज्य के संविदा कर्मचारियों के लिए लागू होता है। हालांकि, अन्य राज्यों में भी संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया समान हो सकती है, यदि कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया हो।
नियमितीकरण के बाद, कर्मचारियों को स्थायी सेवाएं मिलेंगी, जिससे उन्हें रोजगार की सुरक्षा, बेहतर वेतन और अन्य सरकारी लाभ प्राप्त होंगे। यह उनके जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाएगा।