चंडीगढ़ः Haryana Chunav Result 2024 Analysis हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणाम में दोपहर तक बड़ा उलटफेर देखने को मिला। सुबह आई रूझानों में कांग्रेस बड़ी बढ़त की ओर दिख रही थी, लेकिन दो घंटे बाद बीजेपी आगे हो गई। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस पार्टी ने 65 सीटों को छू लिया था। भाजपा कम होकर 17 सीटों पर आ गई थी, लेकिन 11 बजे के आसापास नजारा कुछ और ही था। अब तक जो रूझान आए हैं, उनमें भाजपा 49 से 50 सीटों पर बढ़त बनाती नजर आ रही है। सबसे बड़ा सवाल यही कि बीजेपी का कौन सा नरेटिव चला जो एग्जिट पोल्स में लड़ाई से बाहर दिख रही बीजेपी रुझानों में आगे हो गई। चलिए समझते हैं इस खबर के जरिए..
Haryana Chunav Result 2024 Analysis सबसे ज्यादा बीजेपी ने चुनाव में उठाया कुमारी शैलजा का मुद्दा। कुमारी शैलजा को जिस तरह से उनकी इच्छा के बावजूद विधानसभा का टिकट नहीं मिला, उनके करीबियों को कम टिकट मिले, उसे बीजेपी ने खूब उठाया। साफ संदेश देने की कोशिश की कि कांग्रेस दलित नेताओं की कद्र नहीं करती। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इस पर इशारों में वार करते दिखे। लोकसभा चुनाव में जिस तरह संविधान बदलने का नरेटिव कांग्रेस की तरफ से चलाया गया, शैलजा को बीजेपी ने इसके काउंटर नरेटिव की तरह इस्तेमाल किया। अगर बीजेपी हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाती है तो ऐसा माना जा सकता है कि वो दलितों को अपनी तरफ लाने में कामयाब रही।
दूसरा मुद्दा जिसे बीजेपी ने खूब उठाया वो था नौकरियों में खर्ची-पर्ची का कथित ट्रेंड बंद करना। बीजेपी खर्ची-पर्ची के जरिए भूपेंद्र हुड्डा को घेरती आई है कि इनके 10 साल के कार्यकाल में खर्ची माने पैसे देकर और पर्ची माने सिफारिश पर ही नौकरियां मिलती थीं। यही नहीं ये नौकरियां भी रोहतक रीजन और जाट बिरादरी के लोगों तक सीमित रही हैं। जबकि बीजेपी का दावा रहा कि उनके 10 साल के शासन में नौकरियां बिना पैसे और भेदभाव के सभी वर्गों को दी गईं। जनता के बीच भी इस नरेटिव की खूब चर्चा रही। बीजेपी अगर चुनाव जीतती है तो इस फैक्टर का भी अहम रोल रहेगा।
Haryana Chunav Result 2024 Analysis मनोहरलाल खट्टर लगभग 10 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। पंजाबी चेहरे के तौर पर उनको प्रमोट किया गया और जाट वर्सेज नॉन जाट के नरेटिव के तौर पर उनको कुर्सी पर बनाए रखा गया। मगर चुनाव से चंद महीने पहले उनको जिस तरह से हटाया गया। उसके ये मायने निकाले गए कि बीजेपी ऐसा कर 10 साल की एंटी इनकम्बेंसी खत्म करना चाह रही है। उनकी जगह एक ओबीसी चेहरे नायब सिंह सैनी को तवज्जो दी गई। नायब सैनी जरूर खट्टर के करीबी और उनकी पसंद बताए जाते हैं, मगर इसके जरिए बीजेपी ने दो संदेश देने के प्रयास किए। एक तो ये कि वो जाट वर्सेज नॉन जाट के नरेटिव पर ही चल रही है और ओबीसी उसकी प्राथमिकता में हैं। दूसरा इसके जरिए उन लोगों को मनाने का प्रयास किया गया जो मनोहरलाल खट्टर से खुश नहीं थे। अगर फिलहाल रुझानों में आगे दिख रही बीजेपी सरकार बनाती है तो माना जा सकता है कि उसका ये पैंतरा भी चला और जाट वर्सेज नॉन जाट वाली बाइनरी में नॉन जाट उसके साथ खड़ा रहा।