Match Fixing Movie Leaked On Filmyzilla, Vegamovies, Tamilblasters, Ibomma, Bappam.Tv & Movierulz:-नए साल की शुरुआत में एक धमाकेदार फिल्म रिलीज हुई है – ‘मैच फिक्सिंग’। सुनने में नाम ऐसा लगता है जैसे ये क्रिकेट की फिक्सिंग पर होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। ये कहानी क्रिकेट की नहीं, बल्कि राजनीति की फिक्सिंग की पोल खोलती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे बड़े नेता और अधिकारी वोटबैंक की राजनीति के लिए नैरेटिव सेट करते हैं।
फिल्म का ट्रेलर देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई सस्पेंस थ्रिलर हो, लेकिन असल में इसमें राजनीति और आतंकवाद के बीच का खेल दिखाया गया है। कहानी में एक आर्मी ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल अविनाश पटवर्धन की जिंदगी की झलक मिलती है, जिन्हें झूठे केस में फंसा दिया जाता है। अगर आपको पॉलिटिकल ड्रामा पसंद है, तो इसे एक बार जरूर देख सकते हैं।
भूमिका | नाम |
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मुख्य अभिनेता | विनीत कुमार सिंह (लेफ्टिनेंट कर्नल अविनाश पटवर्धन) |
मुख्य अभिनेत्री | अनुजा साठे (अविनाश की पत्नी) |
सहायक अभिनेता | मनोज जोशी, किशोर कदम, ललित परिमू, राज अर्जुन |
डायरेक्टर | केदार गायकवाड |
कहानी आधारित | ‘द गेम बिहाइंड सैफ्रन टेरर’ (किताब) |
श्रेणी | हिंदी, पॉलिटिकल ड्रामा |
फिल्म ‘मैच फिक्सिंग‘ की कहानी 2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट और 26/11 के मुंबई हमलों के इर्द-गिर्द घूमती है। यह कहानी एक ईमानदार आर्मी ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल अविनाश पटवर्धन (विनीत कुमार सिंह) की है, जिसे एक राजनीतिक साजिश के तहत झूठे आरोपों में फंसा दिया जाता है। कर्नल अविनाश पटवर्धन के संघर्ष और देशभक्ति को सामने लाने के साथ-साथ यह फिल्म एक सशक्त राजनीतिक बयान भी देती है।
स्क्रीनप्ले दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक हिस्सा कर्नल अविनाश के संघर्ष और उसकी ईमानदारी की कहानी है, जो धीरे-धीरे दिलचस्प बनती जाती है। दूसरी ओर, राजनीतिक एंगल पर जोर देने वाला हिस्सा थोड़ा जबरदस्ती लगता है। कई जगह कहानी में गति की कमी महसूस होती है, खासकर जब फिल्म में राजनीतिक साजिशों को दिखाया जाता है। हालांकि, कुछ हिस्से सस्पेंस से भरपूर हैं और आपको आखिर तक बांधे रखते हैं।
केदार गायकवाड ने फिल्म का निर्देशन किया है और सिनेमेटोग्राफी से निर्देशन तक का सफर तय किया है। हालांकि, फिल्म का निर्देशन ठीक-ठाक है, लेकिन कुछ जगहों पर यह थोड़ा कमजोर महसूस होता है। खासकर जब फिल्म की कहानी राजनीतिक मोड़ लेती है, तो दिशा का फोकस थोड़ी सी चूक जाती है।
विनीत कुमार सिंह ने लेफ्टिनेंट कर्नल अविनाश के किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया है। उन्होंने अपने किरदार की ईमानदारी और संघर्ष को पूरी तरह से पर्दे पर उतारा है। वहीं, अनुजा साठे का किरदार भी अच्छा है, हालांकि उनका स्क्रीन टाइम कम है। बाकी किरदार, खासकर राजनीतिक किरदार, कुछ हद तक ओवरएक्टिंग करते नजर आते हैं, जो फिल्म के मूड से मेल नहीं खाता।
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