नई दिल्ली। World Pulses Day 2023 दाल भारतीय भोजन का प्रमुख हिस्सा है। इसके बिना मानों भोजन अधूरा होता है। रोटी हो या चावल खाने का मजा दाल के साथ ही आता है। वहीं दूसरी ओर दाल शरीर को पौष्टिक तत्व भी प्रदान करती है। ये तो आप सभी जानते होंगे कि दाल कई प्रकार के होते है। जिसमें मसूर दाल, अरहर, चना, मूंग, उड़द आदि दालों का खूब इस्तेमाल किया जाता है। हर साल 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस मनाया जाता है। दालों के पोषण और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व दलहन दिवस मनाया जाता है।
World Pulses Day 2023 दलहनी फसलों को फलियों की फसल के रूप में भी जाना जाता है- जैसे कि मलका, मसूर, लोबिया, अरहर, राजमा, मटर, बीन्स, और चना. दलहनी फसलें विभिन्न आकारों, आकृतियों, किस्मों, और रंगों में पाई जाती हैं और दुनिया भर के व्यंजनों का एक बड़ा हिस्सा यही हैं, इनमें सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से खपत की जाने वाली दालें अरहर, राजमा, चना, मटर, सेम, मोठ, मूंग और मसूर हैं। इनमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिज जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो इन्हें महत्वपूर्ण और स्वास्थ्यवर्धक सुपरफूड बनाते हैं।
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दालें किसानों के लिए एक फसल के रूप में महत्वपूर्ण महत्व रखती हैं क्योंकि वे उन्हें बेच और उपभोग दोनों कर सकते हैं. दालों को उगाना भी आसान होता है और फलने-फूलने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। वे किसानों को सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता प्रदान करते हुए सूखे और जलवायु संबंधी आपदाओं को बेहतर ढंग से सहन कर सकते हैं।
-दालों में फाइबर होता है, जो धीरे-धीरे पचने वाले स्टार्च और प्रोटीन युक्त भोजन करने के बाद ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकते हैं। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों के रूप में दालें डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में सहायता कर सकती हैं।
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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2013 में दालों के मूल्य को मान्यता दी और वर्ष 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष (IYP) के रूप में अपनाया। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने दालों के पौष्टिक और पर्यावरणीय लाभों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाई है।