Shardiya Navratri Special in Jabalpur : जबलपुर। शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे देश में बड़े ही भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है और बात करें नवरात्रों की तो एक साल में चार नवरात्र होते हैं जिनमे से दो नवरात्र गुप्त होते हैं लेकिन चैत नवरात्रि और शारदेय नवरात्रि का अपना अलग महत्व माना गया है। खासकर शारदेय नवरात्रि में जगह जगह मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करके पूजन पाठ किया जाता है।
Shardiya Navratri Special in Jabalpur : एक तरफ जहां पूरा देश दुर्गोत्सव पर्व में डूबा रहता है तो जबलपुर जिले का कुसली गांव है जहां नवरात्र पर्व 30 वर्षों बाद वापिस लौट सका। बात करें तो अभी तक 30 वर्ष से कम उम्र के लोग हैं उन्होंने पहली बार नवरात्रि का पर्व पिछले तीन सालों से देखा है। तीन वर्षों से लगातार गांव के युवा बुजुर्गों के मार्गदर्शन में नवरात्र पर्व मनाते हैं और नौ दिनों तक मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर पूजन पाठ करते हैं। जबलपुर जिले के इस कुसली गांव की कहानी रामचरितमानस से भी जोड़ कर देखी जाती है और इसी वजह से गांव में मनाए जाने वाले दुर्गोत्सव पर्व की समिति का नाम कोसलधनी रखा गया है।
समिति का नाम ऐसा इसलिए रखा गया क्योंकि रामचरित मानस के अयोध्या काण्ड के छंद में लिखा है “जननीं सकल परितोषि परि परि पायँ करि बिनती घनी। तुलसी करहु सोइ जतनु जेहिं कुसली रहहिं कोसलधनी” और इसी छंद के आधार पर ग्रामवासियों का यह मानना है कि हमारा कुसली गांव सदैव कौसल से भरा रहे इसलिए समिति का नाम रामचरित मानस के छंद से निकलकर कोसलधनी दुर्गोत्सव समिति रखा गया है।
इस गांव के दुर्गोत्सव में खास बात यह भी है कि जब 90 के दशक में 30 साल पहले यहां दुर्गा जी की जब स्थापना हुई थी तो उस समय जो पुजारी स्व. रेवाशंकर गौतम थे उनके पोते अब उस आचार्य की गद्दी को संभाल रहे हैं और गांव में फिर से एक बार दुर्गोत्सव का पर्व पूरा गांव मिलकर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मना रहा है। कुसली गांव में लोगों के आपसी मतभेद भले ही कितने भी क्यों ना हों लेकिन नवरात्रि के नौ दिन सभी ग्राम वासी एक छत के नीचे बैठकर मां दुर्गा की भक्ति करते हैं और बीते तीन सालों से यह नवरात्र पर्व फिर से गांव के मनाया जाने लगा है साथ ही दुर्गोत्सव समिति का नाम भी अब चर्चाओं में है।