Worship of Goddess Shailputri in Shardiya Navratri

Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि आज से शुरू, मां दुर्गा के जयकारों से गूंजेंगे मंदिर और पंडाल…

Worship of Goddess Shailputri in Shardiya Navratri अगले 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आज विशेष पूजा होगी।

Edited By :   Modified Date:  October 15, 2023 / 06:47 AM IST, Published Date : October 15, 2023/6:45 am IST

 Shardiya Navratri: भोपाल। देशभर में आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहा है। अगले 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आज विशेष पूजा होगी। शारदीय नवरात्रि पर बुधादित्य योग, शश राजयोग और भद्र राजयोग का निर्माण हो रहा है। मां दुर्गा के मंदिरों समेत पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। मां दुर्गा के जयकारों से मंदिर और पंडाल गूंजेंगे। बता दें कि राजधानी भोपाल में भी पंडाल सजे है।

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नवरात्रि के 9 दिनों तक चलने वाली नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करनी करें। पर्वतराज हिमालय की बेटी मां शैलपुत्री ने शिव को बहुत कठिन तप के बाद पति के रूप में पाया था। इन्हें करुणा, धैर्य और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। मां शैलुपत्री की पूजा से जीवन में चल रही सारी परेशानियां शांत हो जाती हैं। कुवांरी लड़कियों की सुयोग्य वर की तलाश पूरी होती है और वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा रहता है।

नवरात्रि में कलश स्थापना के ये है 2 शुभ मुहूर्त

नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए अश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11.24 मिनट पर शुरू होगी 16 अक्टूबर 2023 को प्रात: 12.03 मिनट पर खत्म होगी। नवरात्रि के पहले दिन अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना बहुत शुभ मानी गई है।

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मां शैलपुत्री की पूजा विधि

 Shardiya Navratri: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से पहले विधि-विधान से कलश स्थापना करें और अखंड ज्योति जलाएं और भगवान गणेश का आवाहन करें। देवी शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, हालांकि नारंगी और लाल कलर की रंग भी देवी को सबसे प्रिय है। कलश स्थापना के बाद षोडोपचार विधि से मां शैलुपत्री की विधि-विधान से पूजा करें। मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें। देवी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। मां शैलपुत्री के बीज मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें। शाम के समय भी मां की आरती करें और लोगों को प्रसाद वितरित करें।

 

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