Maa Pitambara : मध्य प्रदेश के दतिया जिले में विराजी हैं मां पीतांबरा। पीतांबरा धाम की ख्याति एक शक्ति पीठ के रूप में है। पुरातन काल में ये मंदिर तंत्र-मंत्र साधना के लिए जाना जाता था। आज भी संकट से बचने के लिए और मुकदमों पर विजय के लिए यहां विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, वो भी विशेषकर नवरात्र के मौके पर।
सभी के संकट हरती है मां पीताम्बरा
प्राचीनकाल की धरा जिसके कण-कण में है शक्ति का वास। इस पुरातन देवी धाम में टेर लगाते ही शत्रुओं का नाश होता है। ग्रह भी चाल बदल देते हैं। मुकदमों पर विजय हासिल होती है। भूत पिशाच निकट नहीं आते हैं। तंत्र-मंत्र का पुरातन ठौर रही ये है दतिया की पीताम्बरा पीठ। जहां तालाब के बीचों बीच बने इस भव्य मंदिर में हाथों में मुदगर ,पाश, वज्र और शत्रुजिव्हा लिए सिंहासन पर स्थापित है देवी पीताम्बारा की दिव्य प्रतिमा। इस पावन भूमि पर प्राचीनकाल में तांत्रिक अपनी तंत्र क्रियाएं किया करते थे। जिसे वनखंडेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता था, लेकिन आज ये धाम पीताम्बरा शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है। कैसे भी कष्ट हों, कितने भी घोर संकट हो, सब हर लेती हैं मां पीताम्बरा।
1935-36 में हुई मां बगुलामुखी की स्थापना
कहते हैं महाभारत काल में अश्वत्थामा ने यहां वनखंडेश्वर महादेव की स्थापना की थी। अश्वत्थामा देवी बगुलामुखी के भी उपासक थे उन्हीं के कहने पर एक सिद्ध संत कहे जाने वाले स्वामीजी महाराज ने 1935-36 में मां बगुलामुखी की स्थापना की थी। जिन्हें आज पीताम्बरा देवी के नाम से जाना जाता है।
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ये शक्तिपीठ इसलिए भी अतिविशिष्ट मानी जाती हैं क्योंकि यहां शिव और शक्ति साक्षात विराजमान है। कहते हैं इस पीताम्बरा पीठ में विशेष साधना और अनुष्ठान किए जाते हैं। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट से अनुमति लेनी होती है पूजा अर्चना सभी साम्रगियां पीले रंग की होती है। कहते है ऐसे विशेष अनुष्ठानों से असंभव से असंभव काम भी आसानी से बन जाते हैं।