Bholenath's Shringaar is done with vermilion in Tilak Sindoor Temple

मध्यप्रदेश में स्थिति विश्व का इकलौता शिव मंदिर, जहां सिंदूर से होता है भोलेनाथ का श्रृंगार

Bholenath's Shringaar is done with vermilion in Tilak Sindoor Temple मध्यप्रदेश में स्थिति विश्व का इकलौता शिव मंदिर, जहां सिंदूर से होता है भोलेनाथ का श्रृंगार

Edited By :   Modified Date:  July 11, 2023 / 08:05 PM IST, Published Date : July 11, 2023/8:03 pm IST

Bholenath’s Shringaar is done with vermilion in Tilak Sindoor Temple होशंगाबाद। मध्यप्रदेश के इटारसी से करीब 18 किलोमीटर दूर सतपुड़ा के जंगलों में एक विश्व प्रसिद्ध स्थान है जहाँ भगवान भोले नाथ के शिवलिंग पर सिन्दूर चढ़ाया जाता है। आज तक भगवान भोले नाथ के ऊपर चंदन दूध दही आदि चीजे से पूजन होते हुए देखा होगा, पर यहां पर भगवान की पूजन सिंदूर से भी होती है, जिससे इस स्थान का नाम तिलक सिंदूर पड़ा। आसपास सतपुड़ा का घना जंगल है।

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शिव जी ने कुछ दिनों तक काटा था अज्ञातवास 

कहा जाता है कि जब भगवान शंकर ने भस्मासुर नामक राक्षस को एक वरदान दिया था कि जिसके सर पर हाथ रखोगे वह भस्म हो जाएगा, तभी भस्मासुर ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने भोलेनाथ के सर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। इसके बाद भोलेनाथ ने वहां से भागकर यही तिलक सिन्दूर नामक स्थान पर रखकर कुछ दिनों तक अज्ञातवास काटा था। यही से सुरंग के रास्ते पचमढ़ी भी गए जहाँ जटाशंकर में भी कुछ समय शंकर भगवान रहे। उसके बाद भस्मासुर का वध हुआ था।

सिंदूर से होता है भोले बाबा के शिवलिंग का श्रृंगार

भगवान भोलेनाथ का ये एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ शिवलिंग पर जल, दूध, बिलपत्र आदि तो चढ़ता ही है, साथ ही यहां सिंदूर अनिवार्य रूप से चढ़ाया जाता है। दुर्गम पहाड़ियों और जंगली रास्तो से होकर यहाँ तक पहुँचा जाता है। हर साल महाशिवरात्रि और यहाँ विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखो भक्त शिवालय में दर्शन करते है। नर्मदापुरम से जल लेकर कई कावड़िये श्रावण के महीने में अभिषेक करने आते है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण मंदिर की पूजा पाठ भी आदिवासी समाज के लोगों के हाथ से होती है। श्रावण के महीने ओर शिवरात्रि के पर्व पर विशेष रूप से मंदिर को सजाया जाता है ओर विशेष पूजन की जाती है। यहां पर दिवंगत महंत बम बम बाबा के द्वारा श्रद्धालुओं के आने जाने के लिए अच्छी व्यवस्था की। आज भी उनके शिष्यों के द्वारा मंदिर की व्यवस्था बनाने में कार्यरत है।

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पत्थरों से निकलता है सिन्दुर

यहां के पुजारी रामनाथ नागले बताते है उनके परिवार की कई पीढ़िया यहां पूजा करते हुए आ रहे है यह बहुत पुराना मंदिर है। यहां पर शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ है यहां के पत्थरों से सिन्दुर भी निकलता है। ओर यहां पूजन के दौरान सिंदूर चढ़ाने के विशेष महत्व है। बहुत दूर दूर से लोग यहा पूजन करने आते है। वही अशोक नाथ महाराज ने बताया की यहां के अलावा कही भी भोले नाथ के शिवलिंग पर सिंदूर नही चढ़ता । तिलक सिंदूर में ही सिंदूर चड़ाकर पूजा की जाती है। IBC24 से अतुल तिवारी की रिपोर्ट

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