Who was the first patient of AIDS: WHO के मुताबिक एड्स (AIDS- Acquired Immune Deficiency Syndrome) ह्यूमन इम्मुनो डेफिशियेंसी वायरस (HIV- Human Immuno Deficiency Virus) के संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी है । एचआईवी वायरस शरीर में मौजूद CD4 सफेद रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता है। जब ये सफेद रक्त कोशिकाएं 500-1600 प्रति क्यूबिक मिलीमीटर से 200 प्रति क्यूबिक मिलीमीटर या उससे नीचे पहुंच जाती हैं, तो एड्स बनता है. यह वायरस इन्फेक्टेड ब्लड, सीमन और वजाइनल फ्लुइड्स आदि के कॉन्टैक्ट में आने से ट्रांसमिट होता है। इस बीमारी को लेकर कई सारी भ्रांतियां फैली हुई हैं. इसीलिए एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने और उन लोगों को याद करने के लिए, जिनकी इस रोग से मृत्यु हुई है, 1 दिसंबर को ‘वर्ल्ड एड्स डे’ के रूप में मनाया जाता है ।
एड्स के प्रति जागरूकता है बहुत जरुरी
साल 1988 से यह दिन लोगों के बीच एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता रहा है। कई जागरूकता अभियानों की मदद से ही पूरा संसार इस खतरनाक बीमारी के बारे में जान सका। आज कल पुरुष और महिला दोनों ही इस बीमारी का शिकार हो रहे है। लेकिन क्या कोई ये जनता है ये है क्या की ये बीमारी कहा से आई।
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घायल चिंपाजी का खून से फैली ये बीमारी
ऐसा माना जाता है कि एचआईवी एड्स सबसे पहले कॉन्गो में 1920 के आसपास एक चिंपांजी की वजह से हुआ। बताया जाता है कि कैमरून के जंगलों में एक घायल चिंपांजी ने एक शिकारी को खरोंचा और काट खाया था। इससे शिकारी के शरीर पर भी गहरे जख्म हो गए। इसी दौरान घायल चिंपाजी का खून शिकारी के शरीर में जा मिला और इससे एचआईवी का इंफेक्शन फैल गया।
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अमेरिका के लॉस एंजिलिस पांच पुरुषों में यह वायरस पाया गया
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है। इसके अनुसार ये वायरस समलैंगिक युवकों के कारण फैला। आज से करीब 38 साल पहले 1981 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के लॉस एंजिलिस पांच पुरुषों में यह वायरस पाया गया। ये पांचों समलैंगिक थे।
एड्स और ‘पेशेंट जीरो’
Who was the first patient of AIDS: पहला मामला ‘गैटन दुगास’ नामक व्यक्ति में मिला। गैटन पेशे से एक कैनेडियन फ्लाइट अटेंडेंट था। माना जाता है कि उसने अमेरिका के कई लोगों को संक्रमित करने के लिए जानबूझकर संबंध बनाए थे। इसी कारण उसे ‘पेशेंट जीरो’ का नाम दिया गया था। अमेरिका में जब इस बीमारी का पहली बार पता चला, तब से शुरुआती करीब आठ सालों तक 92 फीसदी एचआईवी मरीज पुरुष ही होते थे। धीरे-धीरे महिला मरीजों की संख्या बढ़ती गई।