Lohri 2023: Make Lohri eco-friendly : लोहड़ी रबी फसलों की कटाई से जुड़ा त्योहार है और इसे सर्दियों के अंत के रूप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर लोग परंपरागत रूप से अलाव जलाते हैं और रेवड़ी, मूंगफली और फुल्ले आदि को आग में डालते हुए इसकी परिक्रमा लगाते हैं। हालांकि, इससे कुछ हद तक पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है। चलिए हम आपको भी बताते हैं ऐसे 5 तरीके, जिनका उपयोग करके आप ईको-फ्रेंडली लोहड़ी मना सकते हैं।
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सीमित मात्रा में ही करें लकड़ियों का इस्तेमाल
- इस साल लोहड़ी के अलाव के लिए कम लकड़ियों का इस्तेमाल करने का संकल्प लें।
- इसके लिए लकड़ी का कम से कम इस्तेमाल करके सामान्य से कम अलाव बनाएं। इससे धुआं कम होगा और हवा साफ रहेगी।
- इस बात का भी ध्यान रखें कि लकड़ियां गीली न हों और आप चाहें तो चारकोल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कम ईंधन का करें इस्तेमाल
- आग से निकलने वाला धुआं तब बनता है जब ईंधन को जलने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है।
- जब हम ईंधन के रूप में कागज या सूखे गोबर का उपयोग करते हैं तो धुआं उठता है क्योंकि इन सामग्रियों में पानी, कार्बन, राख और अन्य कार्बनिक यौगिक भी होते हैं।
- इसलिए आग में ईंधन डालते न रहें क्योंकि यह आग जलने की प्रक्रिया को लंबा कर देगा।
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Lohri 2023: Make Lohri eco-friendly : सूखे पत्तों का न करें इस्तेमाल
- अलाव बनाने के लिए सूखी पत्तियों और शाखाओं का इस्तेमाल करना एक पुरानी लोहड़ी परंपरा है, लेकिन इस साल जहरीली गैसों से सुरक्षित रहने के लिए सूखे पत्तों को छोड़ दें।
- इसके अतिरिक्त सिर्फ अपने परिवार के साथ लोहड़ी मनाने की बजाय पैसे जमा करके अपने आस-पास के सभी लोगों के साथ लोहड़ी मनाएं।
- इस तरह से अलग-अलग अलाव नहीं जलेंगे और ज्यादा लोगों के साथ त्योहार का मजा भी बढ़ जाएगा।