International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation

क्या है International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation, जानें क्यों मनाया जाता है ये दिन और इसका महत्व

क्या है International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation, जानें क्यों मनाया जाता है ये दिन और इसका महत्व

Edited By :   Modified Date:  February 6, 2023 / 02:19 PM IST, Published Date : February 6, 2023/2:19 pm IST

International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation 2023: हर साल फरवरी माह में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन डे मनाया जाता है। आज 6 फरवरी को पूरे विस्व भर में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन डे मनाया जा रहा है। तब से प्रतिवर्ष महिलाओं को स्नेह और सम्मान दिलाने के लिए विश्व के कई देश महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहनशीलता दिवस मना रहा है। आज भी दुनिया के कई देशों में यह कुप्रथा जाती है। जिसमें अफ्रीका में इसके सबसे अधिक मामले देखने को मिलते हैं। इस दिन की शुरुआत के साथ यह निर्धारित किया गया है कि वर्ष 2030 तक महिला जननांग विकृति कुप्रथा को खत्म कर दिया जाएगा।

दुनिया के कई देशों में जारी है ये कुप्रथा

दुनिया के कई देशों में यह कुप्रथा जारी है। खासकर अफ्रीका महादेश में सबसे अधिक हैं। इसके लिए यह निर्धारित किया गया है कि 2030 तक महिला जननांग विकृति कुप्रथा को समाप्त किया जाए। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में तकरीबन 5,00,000 से अधिक लड़कियों एवं महिलाओं को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफजीएम) से गुजरना पड़ा या इन पर खतरा बना रहा। यूरोप में 60,000, ऑस्ट्रेलिया में 50,000 या उससे अधिक, जर्मनी में 70,000, जबकि ब्रिटेन में 137,000 महिलाओं और लड़कियों के जननांगों को विकृत कर दिया गया और 67,000 से अधिक पर इसका खतरा बना हुआ है।

महिला जननांग विकृति के खिलाफ सहनशीलता दिवस का इतिहास

इस दिन को नाइजीरिया की पूर्व राष्ट्रपति स्टेला ओबसंजो ने की थी। वह महिला जननांग विकृति के खिलाफ शून्य सहनशीलता चलाने वाले अभियान की प्रवक्ता भी थीं। नाइजीरिया की पूर्व राष्ट्रपति स्टेला ने ही वर्ष 2003 में 6 फरवरी को पहली बार यह दिन मनाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस दिन को स्वीकार कर लिया।

क्या होता है फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन

लड़कियों और महिलाओं के जननांगों को विकृत करने की इस कुप्रथा को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन या एफजीएम कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसको महिलाओं का खतना भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में महिला के बाहरी गुप्तांग को काट दिया जाता है। इस प्रकिया से गुजरने वाली लड़कियों को गंभीर दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण, यूरिन पास करने और सदमा लग जाने जैसी दिक्कतों से गुज़रना पड़ता है।