रायपुर। बुधवार 29 मार्च को चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि है, ऐसी मान्यता है कि अष्टमी तिथि पर सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन जप, अनुष्ठान व पूजा-पाठ करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। मां महागौरी को ममता की मूरत भी कहा जाता है, माता रानी के इस स्वरूप की पूजा करने वाले भक्तों के सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।
चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 मार्च की संध्या 07.02 बजे से लेकर 29 मार्च की रात 09.07 बजे तक है। उदय तिथि की मानें तो दुर्गा अष्टमी का उपवास 29 मार्च को रखा जाएगा।
बता दें कि सती ने आत्मदाह के बाद पार्वती के रूप में दूसरा जन्म लिया था। पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप किया था। जब शिव अत्यंत तप के बाद भी प्रकट नहीं हुए, तो पार्वती ने अन्न-जल त्याग कर के शिव उपासना शुरू की। तब पार्वती का शरीर अत्यंत काला और दुर्बल हो गया था, इसके बाद, शिव ने गंगाजल से पार्वती को स्नान करवाया जिससे उनके शरीर से अशुद्धि दूर हुई और वो अत्यंत उज्ज्वल हो गईं। चूंकि देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। देवी महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति के विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
महागौरी माता की कृपा से मनुष्य का चरित्र भी अत्यंत उज्ज्वल हो जाता है, माता की चार भुजाएं हैं, जिसमें से एक हाथ वर मुद्रा, एक अभय मुद्रा, माता ने एक हाथ में भगवान शिव का वाद्य यंत्र डमरू पकड़ा हुआ है। उनके एक हाथ में त्रिशूल है, लेकिन महागौरी अत्यंत शांत और गंभीर है। उनकी पूजा करने से मन में अत्यंत शांति का अनुभव होता है।
इस दिन सुबह उठ कर पूरे घर की सफाई करें. इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा का अभिषेक करें और उन्हें सफेद वस्त्र पहनाएं। हो सके तो आप भी सफेद वस्त्र ही पहनें, क्योंकि यह मां महागौरी को पसंद है। इसके बाद, उन्हें सफेद और पीले फूल अर्पित करें. धूप-दीप, चंदन, सिंदूर, रोली और अक्षत भी अर्पित करें। इसके बाद देवी को हलवा, पूड़ी और खीर का भोग लगाएं। साथ में नारियल का भोग जरूर लगाएं. इसके बाद दुर्गा चालीसा पढ़ें और मां महागौरी की आरती गाते हुए आरती उतारें।
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
ॐ देवी महागौर्यै नमः
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