Baisakhi 2023 : important things about Khalsa Panth

Baisakhi 2023: कैसे और किसने की खालसा पंथ की स्थापना, बैसाखी पर जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

Baisakhi 2023:  पूरे देशभर में बैसाखी के त्योहार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। वैसे तो ये पर्व नई फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है

Edited By :   Modified Date:  April 14, 2023 / 01:36 PM IST, Published Date : April 14, 2023/1:26 pm IST

नई दिल्ली : Baisakhi 2023:  बैसाखी सिक्खों का प्रमुख त्योहार है। पूरे देशभर में बैसाखी के त्योहार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। वैसे तो ये पर्व नई फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है, लेकिन इससे और भी कई परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हुई है जो इसे खास बनाती हैं। सिक्खों से दसवें गुरु गोविंदसिंह ने 1699 में बैसाखी पर ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ सिक्ख धर्म का ही हिस्सा है।

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गुरु गोविंदसिंह ने की थी खालसा पंथ की स्थापना

Baisakhi 2023:  अरबी भाषा में एक शब्द है खालिस जिसका अर्थ है शुद्ध। यही से खालसा शब्द लिया गया। जब मुगलों का आतंक काफी बढ़ गया और उन्होंने गुरु तेगबहादुर का कत्ल कर दिया। तब गुरु गोविंदसिंह ने 1699 की बैसाखी पर आनंदपुर में सभी सिक्खों को आने के लिए कहा। वहां गुरु गोविंदसिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसका काम अधर्म के विरुद्ध युद्ध करना है।

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कैसे हुई खालसा पंथ की स्थापना

Baisakhi 2023:  1699 की बैसाखी पर आनंदपुर साहिब में गुरु गोविंदसिंह ने एक सभा बुलाई। सभा में उपस्थित लोगों से गुरु गोविंदसिंह ने कहा “जो व्यक्ति अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार हैं, वे ही आगे आएं।“ भीड़ में से एक जवान लड़का बाहर आया। गुरु जी उसे अपने साथ तंबू के अंदर ले गए और खून से सनी तलवार लेकर बाहर आए। दोबारा गुरु गोविंदसिंह ने अपनी बात दोहराई। इस बार भी एक युवक उनके पास आया। ऐसा 5 बार हुआ। बाद में वे पांचों युवक जब तंबू से निकले तो उन्होंने सफेद पगड़ी और केसरिया रंग के कपड़े पहने हुए थे। यही पांच युवक ‘पंच प्यारे’ कहलाए।

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कौन थे पंच प्यारे

Baisakhi 2023:  जिन पांच युवकों को गुरु गोविंदसिंह ने पंच प्यारे बनाए, उनके नाम दया राम (भाई दया सिंह जी), धर्म दास (भाई धर्म सिंह जी), हिम्मत राय (भाई हिम्मत सिंह जी), मोहकम चंद (भाई मोहकम सिंह जी), और साहिब चंद (भाई साहिब सिंह जी) था। इन पंच प्यारों को गुरु जी ने अमृत (शक्कर मिश्रित जल) चखाया। इसके बाद सभा में आए सभी लोगों को ये जल पिलाया गया। इस सभा में मौजूद हर धर्म के अनुयायी ने अमृत चखा और खालसा पंथ का सदस्य बन गया।

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