Gopal Krishna Gokhle Birth Anniversary

Gopal Krishna Gokhle Birth Anniversary : युवाओं में जगाई थी देशभक्ति की अलख, जानें भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन से जुड़ी बड़ी बातें

Gopal Krishna Gokhle Birth Anniversary : जानें भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन से जुड़ी बड़ी बातें

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Modified Date: May 9, 2023 / 07:43 AM IST
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Published Date: May 9, 2023 7:43 am IST

नई दिल्ली। Gopal Krishna Gokhle Birth Anniversary महान समाज सुधारक, शिक्षाविद, नरम दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने सामाजिक सशक्तिकरण, शिक्षा के विस्तार और तीन दशकों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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Gopal Krishna Gokhle Birth Anniversary सात दशकों से हम हिंदुस्तान में आजादी की सांस ले रहे हैं और इसके लिए न जाने कितने ही नायकों ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। इन्हीं नायकों में से एक गोपाल कृष्ण गोखले को खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपना राजनीतिक गुरू मानते थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में इसका उल्लेख भी किया है।

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रत्नागिरी में जन्में थे गोखले

गोखले का जन्म 9 मई, 1866 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और माता का नाम वलूबाई गोखले था। एक साधारण से परिवार में जन्में गोपाल कृष्ण मेधावी छात्र थे। पिता कृष्णा राव पेशे से क्लर्क थे, लेकिन उनका असामयिक निधन हो गया था। गोखले को पराधीनता का भाव बहुत ज्यादा सताता था, लेकिन उनके भीतर हमेशा ही राष्ट्रभक्ति की धारा प्रवाहित होती थी।

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गोखले ने 1881 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद 1882 में कोल्हापुर के राजाराम कॉलेज में दाखिला लिया था। हालांकि, कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए एलफिंस्टन कॉलेज जाना पड़ा था। पढ़ाई के प्रति जुनूनी रवैया रखने की वजह से उन्हें हर महीने छात्रवृत्ति मिलती थी। गोखले ने डिग्री हासिल करने के बाद इंजीनियरिंग करने का फैसला किया, लेकिन इंजीनियरिंग में मन नहीं लगने की वजह से उन्होंने इसे छोड़कर कानून की पढ़ाई करने का मन बनाया था

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जब कांग्रेस के अध्यक्ष बने गोखले

गोखले 1889 में अपने गुरू समाज सुधारक एम जी रानाडे से प्रभावित होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे और वो हमेशा ही ‘नरम दल’ के नेता के तौर पर काम करते रहे। साल 1893 में गोखले बंबई प्रांतीय सम्मेलन के सचिव बने और फिर साल 1895 में उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया था।

साल 1905 में हुए बनारस अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इसी अधिवेशन में काशी हिंदु विश्वविद्यालय (BHU) की नींव पड़ी थी। बता दें कि नरम और गरम दल के बीच मतभेदों के बाद 1907 में पार्टी दो टुकड़ो में बंट गई। वैचारिक मतभेद होने के बावजूद उन्होंने ‘गरम दल’ के नेता लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अभियान चलाया था।

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जानें उनके बारे में 12 खास बातें

1. गोपाल कृष्ण गोखले भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे।

2. गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में 9 मई 1866 को हुआ था।

3. एक साधारण परिवार में उनका जन्म हुआ था और उनके पिता कृष्ण राव पेशे से क्लर्क थे।

4. अपनी शिक्षा दीक्षा के दौरान गोपाल कृष्ण गोखले जी अत्यंत मेधावी छात्र थे। पढ़ाई में सराहनीय प्रदर्शन के लिए जब उन्हें सरकार की ओर से 20 रुपए की छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हुई तो उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की काफी सराहना मिली।

5. गोखले पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्होंने इस कॉलेज में अध्यापन का कार्य करने के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां भी जारी रखीं।

6. उनके बारे में कहा जाता है कि गांधी जी को अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा गोखले से ही मिली थी। उन्हीं की प्रेरणा से गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाया।

7. गांधी जी के आमंत्रण पर 1912 में गोखले खुद भी दक्षिण अफ्रीका गए और रंगभेद की निंदा की तथा इसके खिलाफ आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

8. गोखले को एक जन नेता और नरमपंथी सुधारवादी माना जाता है।

9. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ ही देश में व्याप्त जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ भी संघर्ष किया। वह जीवनभर हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए काम करते रहे और मोहम्मद अली जिन्ना ने भी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना।

10. यह बात अलग है कि बाद में जिन्ना देश के बंटवारे का कारण बने और गोखले द्वारा दी गई शिक्षा का पालन नहीं किया।

11. बता दें कि अधिकतर लोग गोखले को सिर्फ महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु के रूप में ही जानते हैं, लेकिन वह सिर्फ राष्ट्रपिता ही नहीं बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना के भी राजनीतिक गुरु थे। उनका मानना है कि यदि आजादी के समय गोखले जीवित होते तो शायद जिन्ना देश के बंटवारे की बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।

12. ऐसे भारत के महान वीर सपूत का निधन 19 फरवरी 1915 को हो गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे तथा भारत भूमि को गुलामी से आजाद कराने के लिए जन्मे गोपाल कृष्ण गोखले देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत थे। गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सर्वेंट्स सोसायटी ऑफ इंडिया के सम्मानित सदस्य भी थे।

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