The ancestors get angry due to not taking out the Panch Gras while per

श्राद्ध करते समय पंच ग्रास नहीं निकालने से पितर हो जाते हैं नाराज, जानें महत्व और लाभ

Pitru Paksha Panch Gras 2022: श्राद्ध करते समय पंच ग्रास नहीं निकालने से पितर हो जाते हैं नाराज, know the importance and benefits

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Modified Date: November 28, 2022 / 11:37 PM IST
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Published Date: September 14, 2022 6:35 am IST

नई दिल्ली। Pitru Paksha Panch Gras 2022: गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करते समय पंच ग्रास निकालने के विधान का विस्तार से उल्लेख किया गया है। पितृ पक्ष में परिजन अपने पितरों के नाम तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं। माना जाता है कि इससे पितर अति प्रसन्न होते हैं और परिजनों को आशीर्वाद देते हैं। पितरों के इसी श्राद्ध कर्म के अंतर्गत पंचग्रास निकला जाता है जिसका बहुत ही महत्व होता है।

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पंचग्रास का महत्व

Pitru Paksha Panch Gras 2022: श्राद्ध पक्ष में पंचग्रास का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि पंचग्रास भोजन निकालने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वह प्रसन्न होकर परिजनों को आशीर्वाद देते है। कहा जाता है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में रोजाना पंचग्रास भोजन निकालना चाहिए। यदि आप रोज नहीं निकाल सकते हैं, तो विशेषकर उस दिन पंचग्रास भोजन जरूर निकाले जिस दिन पितरों के नाम पर ब्राह्मणों को भोजन करा रहें हों। शास्त्रों के मुताबिक, श्राद्ध का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद होता है। इसके बाद ही ब्राह्राणों को भोजन और तर्पण करना चाहिए।

पंचग्रास किनके लिए निकाला जाता है

Pitru Paksha Panch Gras 2022: पितृ पक्ष में परिजन जब पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध किया जाता हैं, तो ब्राह्मणों को भोजन कराने से पहले पंचग्रास भोजन निकाला जाता है। पंचग्रास के तहत श्राद्ध के दिन बने भोजन को पांच पत्तल पर निकालकर इसे पांच अगल-अलग स्थान पर रखते हैं। यह पंचग्रास भोजन गाय, चींटी, कौए, देवता और कुत्ते को खिलाया जाता है।

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पंचग्रास निकालने के नियम

Pitru Paksha Panch Gras 2022: शास्त्रों के मुताबिक, सबसे पहला ग्रास गाय के लिए निकाला जाता है। इसे गो बलि भी कहते हैं। दूसरा ग्रास कुत्तों के लिए निकाला जाता है। जिसे श्वान बलि कहते हैं। तीसरा ग्रास कौवे के लिए निकाला जाता है जिसे काक बलि कहते हैं। वहीं चौथा ग्रास देवताओं के लिए निकाला जाता है जिसे देव बलि कहते हैं। इसे देवताओं के नाम पर जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। पांचवां और अंतिम ग्रास चीटियों के लिए होता है जिसे पिपीलिकादि बलि कहते हैं।

(यहां मुहैया सूचना सिर्फ जानकारी के लिए है। IBC 24 इस तरह की किसी भी मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है।) 

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