नई दिल्ली। Pitru Paksha Saptami date 2022: पितृ पक्ष में मृत परिजनों के आत्मा की शांति और संतुष्टि के लिए तर्पण, ब्राह्मण भोजन, दान किए जाते हैं। पितृ पक्ष में इस बार 16 सितंबर 2022 को सप्तमी तिथि श्राद्ध पर रवि योग का संयोग बन रहा है। कहते हैं कि श्राद्ध में पितरों के लिए भोजन बनाते वक्त कुछ खास बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। वरना पूर्वज रूठ जाते हैं और बिना भोजन किए लौट जाते हैं। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
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अश्विन कृष्ण सप्तमी तिथि आरंभ – 16 सितंबर 2022, दोपहर 12.19
अश्विन कृष्ण सप्तमी तिथि समाप्त – 17 सितंबर 2022, दोपहर 02.14
रवि योग – 16 सितंबर 2022, सुबह 09:56 – 17 सितंबर सुबह 06:13
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Pitru Paksha Saptami date 2022: श्राद्ध का भोजन बनाने के लिए पवित्रता और शुद्धता का विशेष खयाल रखें। पितरों के लिए भोजन घर की महिलाएं ही बनाएं तभी श्राद्ध का फल मिलेगा। स्नान के बाद ही भोजन बनाना शुरू करें।
Pitru Paksha Saptami date 2022: श्राद्ध में सिर्फ सात्विक भोजन ही बनाया जाता है। इसमें प्याज, लहसून, पीली सरसों का तेल, बैंगन, का प्रयोग नहीं करना चाहिए। भोजन में इस्तेमाल होने वाला दूध, दही, घी गाय का ही होना चाहिए।
Pitru Paksha Saptami date 2022: ऐसा माना जाता हैं कि जिन पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं अगर उनकी रूचि का भोजन बनाकर श्रद्धा से खिलाया जाए तो जीवनभर खुशहाली बनी रहती है। श्राद्ध का भोजन बनाते वक्त चप्पल न पहनें, साथ ही पूर्व की ओर मुख करके खाना बनाएं।
Pitru Paksha Saptami date 2022: श्राद्ध के भोजन में खीर का विशेष महत्व है। इस दिन पूड़ी, आलू की सब्जी या छोले की सब्जी, कद्दू की सब्जी, मिठाई, आदि बनाएं। भोजन में किसी भी जूठी चीजों के प्रयोग न करें।
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Pitru Paksha Saptami date 2022: ब्राह्मण भोजन से पहले पंचबली भोग लगाएं, जिसमें गाय, कुत्ते, कौए, देव और चीटियों के लिए पत्तल में भोग निकाला जाता है। मान्यता है कि इन्हीं के द्वारा पितर भोजन ग्रहण करते हैं।
Pitru Paksha Saptami date 2022: ब्राह्मण भोजन कराने तक स्वंय अन्न ग्रहण न करें। ब्राह्मणों को पत्तल, चांदी, या कांसे के बर्तन में ही भोजना खिलाएं। श्राद्ध में भोजन के लिए कांच, प्लास्टिक, चीनी के बर्तनों का प्रयोग वर्जित माना गया है। साथ ही संभव हो तो ब्राह्मणों को दक्षिण दिशा की तरह मुंह करके आदर पूर्वक बैठाएं। कहते हैं पितर दक्षिण दिशा से ही आते हैं।