नई दिल्ली: Blue Tick Web Series हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज में ब्लू टिक इन दिनों जमकर धमाल मचा रहा है। शुभम सिंह द्वारा निर्देशित और फोकलोर फिल्म्स द्वारा निर्मित इस फिल्म में पारूल गुलाटी ने अभिनय किया है। इसमें उन्होंने अपने अदाकारी से सबका दिल जीत लिया है। सोशल मीडिया समेत तमाम जगहों पर ब्लू टिक लेने की मची होड़ के बीच इस व्यंगात्मक शैली में बनाया गया है।वैसे तो ब्लू टिक नीले रंग का छोटा सा निशान है, लेकिन इसके पीछे आज हर कोई भाग रहा है। इस फिल्म में इन्हीं कहानियों का दर्शाया गया है।
Blue Tick Web Series अश्लीलता से दूर रखे गए इस वेब सीरीज की कहानी की बात करें तो दृश्य-संवाद, नृत्य-गीत, भाव-भंगिमा सब एक दर्शक के लिए अनुकुल है। एक्शन में किसी ने कहीं कट्टा नहीं निकाला है, किसी ने कहीं किसी को चाकू छोड़िए, ठीक से अंगुली तक नहीं दिखाई है। अब इसका मतलब ये नहीं है कि यह वेब सीरीज बोरियस है, मस्त मसालेदार आइटम है। इसका स्वाद बहुत अच्छे तरीके से लिया जा सकता है।
वैसे तो सोशल मीडिया पर ब्लू टिक पर पीछे हर कोई पागल है। इस छोटे से निशान से जरिए लोग अपने आप को रथी से महारथी, महारथी से अतिरथी बनते हैं। इतना ही नहीं चूहा भी शेर की भांति व्यवहार करता है। ब्लू टिक के बवालियों की इन्हीं हरकतों को ध्यान में रखते हुए इस वेब सीरीज को फिल्माया गया है। क्लाईमैक्स की बात करें तो बालिका को ही एक अदद बालक की जरूरत पड़ जाती है ! बालिका को ब्लू टिक दिलाने में मदद करनेवाले बालक की तलाश होती है।
बेचारी बालिका अपने मनचाहे बालक को कहां कहां नहीं ढूंढती है। गली-कूची के गलियारे से लेकर बार-क्लब के बंद कमरों तक में दस्तक देती है लेकिन आखिर में वो मिलता कहां है? दिल वालों की दिल्ली में बुलेट पर सवार होकर मिलता है, बिगड़ैल बैल की तरह बालिका को लात मारते हुए मिलता है! लेकिन बालिका को सोशल मीडिया की मायावी दुनिया में परमपद प्राप्त हो जाता है। ब्लू टिक धारी बन जाती है वो लेकिन हालात कुछ ऐसे बदलते हैं कि आखिर में नायिका के काम कबीर बाबा ही आते हैं।
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