मुंबई । हिंदी फिल्म जगत में वैसे तो एक से बढ़कर एक अभिनेता आए और गए लेकिन कोई गुरु दत्त का स्थान नहीं ले पाया। गुरु दत्त कि फिल्में हमेशा समय से आगे की होती थी। जिसे फैंस ने हमेशा सिर आंखो पर बैठाया। बहुत कम लोगों को पता है कि गुरु साहब ने हिंदी फिल्मों में नृत्य निर्देशक के रुप में एंट्री मारी थी। कॉलेज के दिनों से ही वे नाटक में भाग लिया करते थे। गुरु दत्त और देवानंद की दोस्ती काफी ज्यादा मशहूर रही।
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गुरु दत्त ने जब फिल्मो में निर्देशक के रुप में काम करना शुरु किया। तो उनकी फिल्में देखकर दर्शक चौंक गए।दत्त साहब मसाला फिल्मों के बजाय रियलिस्टिक सिनेमा में विश्वास रखते थे। कागज के फूल, प्यासा, साहेब बीवी औऱ गुलाम, चौंदवी का चांद, मिस्टर एंड मिसेज 56, जैसी फिल्में वास्तविकता के बेहद करीब है। प्यासा और कागज के फूल कहीं ना कहीं दत्त साहब के जीवन से प्रेरित रही।
दत्त साहब कि फिल्मों में कहानी के साथ साथ संगीत का विशेष महत्व रहा। अपनी ज्यादातर फिल्मों के संगीत गुरु दत्त ने स्वंय तैयार की थी। जिसे सुनने के बाद फैंस मंत्रमुग्ध हो गए। गुरु दत्त की फिल्म मेकिंग हमेशा औरों से बेहद अलग रही। उन्हें कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा लेकिन गुरु तो गुरु थे। अपनी जीवन के अंतिम क्षण तक उन्होंने अपने आप की सुनी। आज गुरु दत्त की हर एक फिल्मों कल्ट स्टेट्स प्राप्त है।
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