मुंबई : Mukesh 100th birth anniversary : एक ऐसी आवाज जिसमे जादू था। वो जादू कुछ ऐसा था जो लोगों को अपनी ओर खींच कर लाती थी। हम बात कर रहे हैं, बॉलीवुड के मशहूर सिंगर मुकेश की, मुकेश के गानें आज भी सदाबाहर है। मुकेश ने हिंदी सिनेमा को अपनी अद्भुत आवाज में कई गाने दिए। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, पर इनके गुनगुनाए गीतों को हर दिल याद करता है। यूं तो मुकेश ने अपने जमाने के सभी लीड एक्टर्स के लिए गाने गाए, पर सबसे ज्यादा उन्होंने शोमैन राज कपूर के लिए गाए हैं। इनमें ‘दोस्त-दोस्त ना रहा’, ‘जीना यहां मरना यहां’, ‘सजन रे झूठ मत बोलो’, ‘कहता है जोकर’, ‘दुनिया बनाने वाले’, ‘आवारा हूं’ और ‘मेरा जूता है जापानी’ सहित अनेक गाने शामिल हैं।
Mukesh 100th birth anniversary : दिल्ली में 22 जुलाई 1923 में जन्मे मुकेश का पूरा नाम मुकेश चांद माथुर था। फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर गायक थे। पर वह सिंगर नहीं, एक फिल्मी हीरो बनना चाहते थे। हालांकि, मुकेश ने कुछ फिल्में की भीं, पर नाकामयाब रहे। साल 1942 में फिल्म ‘निर्दोष’, साल 1953 में ‘माशुका’ और साल 1956 में इन्होंने ‘अनुराग’ फिल्म की। तीनों ही फ्लॉप साबित हुईं। इसके बाद मुकेश ने कभी एक्टिंग की ओर रुख नहीं किया।
फिल्म ‘पहली नजर’ में ‘दिल जलता है तो जलने दे’ गाना गाया। यह सुपरहिट हुआ। इस गाने को मुकेश ने केएल सहगल के अंदाज में गाया था। साल 1949 मुकेश की जिंदगी में टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ। महबूब खान की फिल्म ‘अंदाज’ और राज कपूर की ‘बरसात’ में इन्होंने जो गाने गाए, सभी सुपरहिट हुए। मुकेश के 6 गाने ऐसे भी रहे जो रेडियो शो पर टॉप रैंक पर रहे, वह भी पूरे साल।
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मुकेश के बेटे नितिन मुकेश ने इंटरव्यू दिए। उसमें उन्होंने बताया कि उनके पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे। रोज सुबह उठकर वह सैर पर जाते थे, लौटकर तैयार होकर रियाज करने बैठ जाते थे। उसके बाद घर में बने छोटे से मंदिर के सामने बैठकर वह रामायण पढ़ते थे। रामायण पढ़ते-पढ़ते मुकेश इमोशनल हो जाते थे। तब, मां कहती थीं कि इनके सामने से रामायण हटा लो वरना यह रोते ही रहेंगे।
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Mukesh 100th birth anniversary : नितिन मुकेश ने बताया कि पापा की बहन की शादी थी। बारात में मशहूर एक्टर-प्रोड्यूसर मोतीलाल आए थे। शादी में पापा ने सहगल साहब के गीत सुनाए थे, जिन्हें सुनने के बाद मोतीलाल ने पापा से कहा था कि मेरे साथ मुंबई चलो, मैं तुम्हारा जीवन सुधार दूंगा। मोतीलाल ने इस बारे में दादा जी से बात की। उन्होंने कहा- आपका लड़का इतना बेहतरीन गाता है, इसकी जगह दिल्ली में नहीं, बल्कि मुंबई में है। मोतीलाल के इतना कह देने से दादा जी घबरा गए। वह इसलिए, क्योंकि पापा की नौकरी लग गई थी। दादा जी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे, उन्होंने मना कर दिया। मोतीलाल ने हार नहीं मानी, वह पापा के ताऊ जी के पास गए और उनसे दादा को समझाने के लिए कहा। ताऊजी ने जब दादा को समझाया तब वह माने। उस वक्त पापा केवल 16-17 साल के थे।
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नितिन मुकेश ने कहा- एक्टर मोतीलाल की कोई औलाद नहीं थी। ऐसे में उन्होंने पापा को अपना बेटा माना पर जब वह पापा को मुंबई लेकर आए तो उन्होंने सिर्फ एक बात पापा से कही। वह यह कि तुम्हें हर सुख-सुविधा मिलेगी, खाने को खाना मिलेगा, पहनने को कपड़े मिलेंगे, लेकिन पैसा एक नहीं मिलेगा। इंडस्ट्री में अगर काम चाहिए तो खुद के दम पर लेना। तुम्हें अपनी पहचान खुद ही बनानी पड़ेगी। मैं इसमें कोई मदद नहीं करूंगा और न ही कोई कॉन्टैक्ट दूंगा। मोतीलाल ने पापा को पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत की शिक्षा दिलवाई और संगीत की दुनिया में पापा ने बहुत नाम कमाया।
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Mukesh 100th birth anniversary : साल 1974 में मुकेश को नेशनल अवॉर्ड मिला। ‘कई बार यूं ही देखा है, ये जो मन की सीमा रेखा है’ सॉन्ग के लिए इन्हें इस अवॉर्ड से नवाजा गया। फिल्म ‘रजनीगंधा’ का यह गाना था, जिसे सलिल चौधरी ने कंपोज किया था। इंडिया के मैच विनिंग लेग स्पिनर बीएस चंद्रशेखर, मुकेश के बहुत बड़े फैन थे। मुकेश यूएसए टूर पर थे जब उनका निधन हुआ। 53 साल के मुकेश की हार्ट अटैक से मौत हुई थी। तब सिंगर करियर में पीक पर थे पर चंद मिनटों में सबकुछ खत्म हो गया।