नई दिल्ली: Dada Saheb Phalke Award दादा साहब फाल्के पुरस्कार का ऐलान हो चुका है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केन्द्रीय सूचना और प्रसारण, रेलवे तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में आज इस पुरस्कार की घोषणा की है।
Dada Saheb Phalke Award पश्चिम बंगाल के सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती को यह पुरस्कार मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024 को आयोजित होने वाले 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा। पूर्व में दादा साहब पुरस्कार जीत चुकीं आशा पारेख, एक्ट्रेस खुशबू सुंदर और फिल्म प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह की जूरी ने मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा के इस सर्वोच्च सम्मान के लिए चुना।
मिथुन चक्रवर्ती, जिन्हें मिथुन दा के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेता, निर्माता और राजनीतिज्ञ हैं, जो अपनी बहुमुखी भूमिकाओं और विशिष्ट नृत्य शैली के लिए पहचाने जाते हैं। उन्होंने अपनी फिल्मों में विविध प्रकार की भूमिकाएं निभाई हैं, जिसमें एक्शन से भरपूर पात्रों से लेकर मार्मिक नाटकीय भूमिकाएं तक शामिल हैं।
16 जून 1950 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्मे गौरांग चक्रवर्ती ने अपनी पहली ही फिल्म “मृगया” (1976) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल किया। प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के पूर्व छात्र रहे मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी कला को निखारा और सिनेमा में अपने शानदार करियर की नींव रखी।
मृणाल सेन की फिल्म में एक संथाल विद्रोही की उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा दिलाई। मिथुन ने 1980 के दशक में “डिस्को डांसर” (1982) में अपनी भूमिका से अपार लोकप्रियता हासिल की। इस फिल्म ने भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असाधारण सफलता पाई और इसने उन्हें नृत्य में पारंगत एक बेहतरीन अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया। वह डिस्को डांसर (1982) में अपनी ऐतिहासिक भूमिका के कारण हर घर में एक जाना-पहचाना नाम बन गए। यह एक ऐसी फिल्म थी जिसने न केवल उनके असाधारण नृत्य कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय सिनेमा में डिस्को संगीत को भी लोकप्रिय बनाया। अग्निपथ में उनके प्रदर्शन ने उन्हें 1990 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिलाया।
बाद में, ताहादेर कथा (1992) और स्वामी विवेकानंद (1998) में अपनी भूमिकाओं के लिए उन्हें दो और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल हुआ। अपने लंबे करियर में, मिथुन ने हिंदी, बंगाली, उड़िया, भोजपुरी और तेलुगु सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। वह एक्शन से लेकर ड्रामा एवं कॉमेडी तक में अपने विविधतापूर्ण अभिनय के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि मिथुन दा को न केवल उनकी सिनेमाई उपलब्धियों के लिए बल्कि सामाजिक कार्यों के प्रति उनके समर्पण के लिए भी पहचाना जाता है। मिथुन दा शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और वंचित समुदायों का सहयोग करने के उद्देश्य से विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में सक्रिय रूप से सम्मिलित रहे हैं, जो समाज को वापस देने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने सार्वजनिक सेवा और शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए संसद सदस्य के रूप में भी कार्य किया है।
मिथुन चक्रवर्ती को लगभग पांच दशकों के उनके करियर में, भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसाएं मिलीं। भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए हाल ही में उन्हें प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। एक फिल्मोग्राफी के साथ जिसमें “डिस्को डांसर” और “घर एक मंदिर” जैसी क्लासिक फिल्में शामिल हैं, उन्होंने न केवल करोड़ों लोगों का मनोरंजन किया है बल्कि बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा के परिदृश्य को भी आकार दिया है। उनका प्रभाव सिल्वर स्क्रीन से भी आगे तक फैला हुआ है, क्योंकि वह फिल्म और परोपकार में अपने काम के माध्यम से पीढ़ियों को प्रेरित करते रहते हैं।