Diwali Kab Hai

Diwali Kab Hai: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, किस दिन मनाई जाएगी दिवाली..? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Diwali Kab Hai: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, किस दिन मनाई जाएगी दिवाली..? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि Diwali 2024 Subh Muhurt or Puja Vidhi

Edited By :   Modified Date:  October 18, 2024 / 05:58 PM IST, Published Date : October 18, 2024/5:45 pm IST

Diwali Kab Hai: देश का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली का सभी देशवासियों को बेसर्बी से इंतजार रहता है। दिवाली पांच दिनों की होती है, जिसमें पहला दिन धनतेरस, दूसरा दिन नरक चौदस, तीसरा दिन लक्ष्मी पूजा, चौथा दिन गोवर्धन पूजा और पांच दिन भाई दूज का होता है। दीपावली को दीपों का त्योहार भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन अमावस की काली रात होती है, जिसे दीये की रौशनी से दूर किया जाता है।इस बार दीपावली को लेकर कुछ लोगों को कंप्यूजन हो रहा है कि दिवाली 31 अक्टूबर को है यै फिर 1 नवंबर को।

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2024 में दिवाली कब है?

अगर आप भी यही सोच रहे हैं तो बता दें कि इस बार दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दीपावली के त्योहार पर रात्रि में अमावस्या तिथि होनी चाहिए जो कि 1 नवंबर 2024 को शाम के समय नहीं है। इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजे से लेकर रात के 10 बजकर 30 मिनट तक है।

Diwali 2024 Subh Muhurt

शास्त्रों के मुताबिक, 31 अक्टूबर यानी गुरूवार को अमावस्था तिथि दिन में 2 बजकर 40 मिनट से लग रही है। इस कारण से दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दीपावली के त्योहार पर रात्रि में अमावस्या तिथि होनी चाहिए जो कि 1 नवंबर 2024 को शाम के समय नहीं है. ऐसे में दीवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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Diwali 2024 Puja Vidhi

  1. लक्ष्मी पूजा वाले दिन पूजा के लिए सबसे पहले पवित्र होकर पूजा स्थल को साफ सुधरा करके वहां गंगाजल छिड़कें।
  2. अब उस स्थल पर स्वस्तिक बनाएं और उसके ऊपर एक मुठ्ठी चावल रखें।
  3. इसके बाद माता लक्ष्मी, श्रीगणेश और कुबेरजी को विराजमान करने के लिए लकड़ी का पाट रखें।
  4. पाट के ऊपर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को रखें।
  5. भगवान की फोटो या मूर्ति को साफ करने या गंगाजल छिड़कने के बाद अब उनके समक्ष अगरब्ती, धूप, दीप आदि प्रज्वलित करें।
  6. अब माता की तस्वीर या मूर्ति के आसपास केले के पत्ते रखें और गन्ना रखें।
  7. अब माता की सभी प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करें। जैसे कमल का फूल, सिंघाड़ा, पीली मिठाई, कमलगट्टा आदि।
  8. फिर मां लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। उन्हें सबसे पहले फूल की माला पहनाएं और हल्दी, कुंकू एवं चावल लगाएं।
  9. अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाएं।
  10. सभी सामग्री अर्पित करने के बाद माता की आरती उतारें। हो सके तो आरती में घर के सभी सदस्य सम्मलित हों।
  11. पूजा और आरती के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं।
  12. ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।

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