धर्म। Diwali Puja Vidhi : दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन लक्ष्मी पूजा करते हैं, उन्हें पूरे साल समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। आइए आज आपको पौराणिक कथा के बारे में बताते हैं।
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1. कार्तिक अमावस्या यानि दीपावली के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है।
2. दीपावली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर् अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करना चाहिए। शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
3. दीपावली पर पूर्वजों का पूजन करें और धूप व भोग अर्पित करें। प्रदोष काल के समय हाथ में उल्का धारण कर पितरों को मार्ग दिखाएं। यहां उल्का से तात्पर्य है कि दीपक जलाकर या अन्य माध्यम से अग्नि की रोशनी में पितरों को मार्ग दिखायें। ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. दीपावली से पहले मध्य रात्रि को स्त्री-पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है।
सबसे पहले खुद पर सिंचन करें पवित्र हों फिर सामग्री पर जल छिड़कें,फिर गौरी गणेश कलश नवग्रह षोडशमातृका लक्ष्मी कुबेर सरस्वती काली का आवाहन करें फिर सभी को आसन फिर स्नान पंचामृत से स्न्नान फिर साफ़ जल से स्नान करावें सभी आवाहित देवताओ को मौली तथा यज्ञोपवीत आदि चढ़ावेंदीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।
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इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें। महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरण की पूजा करें। इस दिन रात्रि में श्री सूक्त लक्ष्मी स्तोत्र ,कनक धारा स्तोत्र का पाठ करें या रात्रि जागरण कर ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः इस मंत्र का रात्रि भर रुद्राक्ष अथवा कमल गट्टे की माला से जाप करें। सुबह सूर्योदय से पूर्व अलक्ष्मी का विसर्जन करना चाहिए इसके लिए नया झाड़ू और सूपा लें घर की सफाई क़र सूर्योदय से पूर्व कचरा सूप में रख कर बाहर विसर्जित करें और पुनः स्नान क़र सभी आवाहित देवताओं का पूजन करें और सूर्योदय के बाद हवन करें ब्राम्हणों को गरीबों को यथा शक्ति दान करें,महालक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को एकत्रित होकर करना चाहिए।
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