नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को देश में अवैध मादक पदार्थ व्यापार पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इससे प्रभावित युवाओं को बुरा-भला कहने की बजाय उनके पुनर्वास की जरूरत है।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि नशीली दवाओं के इस्तेमाल को लांछन के तौर पर नहीं देखना चाहिए, बल्कि इस मुद्दे से निपटने के लिए खुली चर्चा की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘भारत में मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में हमारी चिंताएं हैं। इससे होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल आतंकवाद को समर्थन देने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। शैक्षणिक दबाव और पारिवारिक अशांति भी इसे बढ़ावा दे रही है, जिससे दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता पैदा हो रही है। साथियों का दबाव, पढ़ाई का तनाव और नशीली दवाओं की आसान उपलब्धता इसके इस्तेमाल के लिए प्रेरक बनती है। किशोर भी इसका इस्तेमाल मानसिक, भावनात्मक सुकून पाने के लिए करते हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘युवाओं को उन लोगों का अनुसरण नहीं करना चाहिए जो नशीली दवाओं का सेवन करते हैं। नशीली दवाओं के सेवन के शिकार केवल वंचित वर्ग तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोग भी इसके शिकार हैं। हमें उन लोगों को बुरा-भला नहीं कहना चाहिए जिन्होंने इसका सेवन किया है, बल्कि ऐसे व्यक्तियों का पुनर्वास कराना चाहिए और उन्हें रचनाशील नागरिक बनाना चाहिए।’’
पीठ ने पाकिस्तान से भारत में 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी के मामले में आरोपी व्यक्ति द्वारा दायर जमानत याचिका पर फैसला सुनाते समय यह टिप्पणी की।
भाषा सुरभि नरेश
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