तमिलनाडु: भारत आज इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुका है, लेकिन महिलाओं के मामले में आज भी यहां लोग अपनी दकियानुसी विचारधाराओं को बसाए हुए हैं। महिलाओं के मामले में कहने का मतलब है उनकी महावारी को लेकर लोगों में अलग-अलग तरह की सोच है। या यूं कहें कि पीरियड के दौरान महिलाओं को छुआछूत की नजरों से देखा जाता है। लेकिन इसी बीच तमिलनाडु के मंदिर में बड़ा फैसला लिया गया है। मंदिर प्रबंधन ने महावारी के दौरान महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने के साथ-साथ पूजा करने की भी अनुमति दी गई है।
बता दें कि कोयंबटूर स्थित ‘मां लिंग भैरवी’ भारत का पहला ऐसा मंदिर होगा, जहां महावारी के दौरान महिलाओं को पूजा की अनुमति दी गई है। बताया गया कि महिलाओं को महावारी के दौरान मंदिर में प्रवेश देने को लेकर बीते दिनों प्रबंधन ने पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इस दौरान पदाधिकारियों ने भी पीरियड के दौरान महिलाओं को प्रवेश देने की सहमति जताई है। इसके बाद से अब महिलाएं कभी भी मंदिर में प्रवेश कर पूजा कर सकेंगे।
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कोयंबटूर स्थित की एक महिला ने बताया कि यहां के सदगुरु की अवधारणा है कि महावारी के दौरान महिलाओं को मंदिर में पूजा और अनुष्ठान करना चाहिए।
बता दें कि भारत के कई हिस्सों में, मासिक धर्म को अभी भी हिंदू धर्म में गंदा और अपवित्र माना जाता है। इस दौरान महिलाओं को सामान्य तरह से जीवन जीने व उसमें भाग लेने की अनुमति नहीं होती है। मासिक धर्म वाली लड़कियों और महिलाओं को भी नमाज अदा करने और पवित्र किताबों को छूने की मनाही होती है।