कोरोना काल में निजी स्कूल ले सकेंगे वार्षिक फीस और विकास शुल्क? हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला | Will private schools be able to take annual fees and development fees during the Corona period?

कोरोना काल में निजी स्कूल ले सकेंगे वार्षिक फीस और विकास शुल्क? हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

कोरोना काल में निजी स्कूल ले सकेंगे वार्षिक फीस और विकास शुल्क? हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:58 PM IST
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Published Date: June 1, 2021 4:04 am IST

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान निजी स्कूलों को छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के दो अलग-अलग आदेशें को उच्च न्यायालय ने सोमवार को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि सरकार के इन आदेशों से स्कूलों के कामकाज प्रभावित होगा। न्यायालय ने छात्रों से 10 जून से छह किस्तों में इन शुल्कों का भुगतान करने के लिए कहा है।

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उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि नियमित स्कूल खुलने का वार्षिक और विकास शुल्क से कोई लेनादेना नहीं है। न्यायालय ने निजी स्कूलों के संघ ‘एक्शन कमेटी’ की ओर से सरकार के आदेशों के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह फैसला दिया है। कमेटी की ओर से अधिवक्ता कमल गुप्ता ने न्यायालय को बताया था कि शिक्षा निदेशालय ने नियमों की अनदेखी का दोनों आदेश जारी किया है। गुप्ता ने न्यायालय को बताया कि इससे स्कूलों का हित बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

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उच्च न्यायालय ने कहा है कि निजी स्कूल छात्रों से शैक्षणिक सत्र 2020-21 का वार्षिक व विकास शुल्क वसूल सकता है। न्यायालय ने 10 जून से छात्रों से छह मासिक किस्तों में इन शुल्कों को वसूलने की छूट दी है। हालांकि इसमें 15 फीसदी का छूट देने के लिए कहा है। लेकिन मौजूदा शैक्षणिक सत्र में दोनों मदों में पूरी रकम का भुगतना करने को कहा है।

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जस्टिस जयंत नाथ ने अपने फैसले कहा है कि सरकार के शिक्षा निदेशालय को स्कूलों के फीस तय करने/वसूलने में दखल देने का अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं, न्यायालय ने कहा है कि शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 17 और नियम की गलत व्यख्या की है। पीठ ने कहा है कि शिक्षा निदेशालय तब तक स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर में दखल नहीं दे सकती है जब तक यह साबित नहीं हो जाता है कि स्कूल मुनाफाखोरी कर रहा है।

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यह टिप्पणी करते हुए उच्च न्यायालय ने शिक्षा निदेशालय के 18 अप्रैल, 2020 और 28 अगस्त 2020 को जारी दोनों आदेशों को रद्द कर दिया। इन आदेशों के जरिए शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों को कोरोना महामारी के चलते जब तक नियमित स्कूल नहीं खुल जाते हैं तब तक वार्षिक और विकास शुल्क लेने पर रोक लगा दी थी।