सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने पर इमाम की आपत्ति पर विचार करेंगे : एनडीएमसी ने अदालत से कहा |

सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने पर इमाम की आपत्ति पर विचार करेंगे : एनडीएमसी ने अदालत से कहा

सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने पर इमाम की आपत्ति पर विचार करेंगे : एनडीएमसी ने अदालत से कहा

:   Modified Date:  July 24, 2024 / 04:42 PM IST, Published Date : July 24, 2024/4:42 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह यहां सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव के संबंध में कोई निर्देश जारी करने का इच्छुक नहीं है, क्योंकि नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने आश्वासन दिया है कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले मस्जिद के इमाम की आपत्तियों पर विचार किया जाएगा।

न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने इमाम अब्दुल अजीज की याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें एनडीएमसी के 24 दिसंबर 2023 के सार्वजनिक नोटिस को चुनौती दी गई थी। इस नोटिस में आम जनता से धार्मिक ढांचे को हटाने के संबंध में आपत्तियां/सुझाव देने को कहा गया था। अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया कि जनता की आपत्तियों पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।

अदालत ने कहा कि यह देखा गया है कि इस स्तर पर, संबंधित प्राधिकारी को सार्वजनिक नोटिस के तहत आमंत्रित आपत्तियों/सुझावों पर विचार करना होगा।

उच्च न्यायालय ने कहा, “ इस स्तर पर, अदालत कोई सकारात्मक निर्देश देने की इच्छुक नहीं है।”

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मस्जिद को हटाने के मुद्दे पर विरासत समिति के फैसले का अब भी इंतजार किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सार्वजनिक नोटिस कानून के अनुसार जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर अधिकारियों को अंतिम निर्णय लेने से पहले उनके द्वारा प्रस्तुत आपत्तियों पर फैसला लेने का निर्देश दिया जाता है तो वह याचिका वापस ले लेंगे।

अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस स्तर पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और संबंधित अधिकारी मस्जिद के विध्वंस के खिलाफ उनकी याचिका से सहमत हो सकते हैं, और याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी।

फरवरी में शहर की यातायात पुलिस ने अदालत को बताया था कि सुनहरी बाग मस्जिद के प्रस्तावित विध्वंस का मुद्दा विरासत संरक्षण समिति (एचसीसी) को भेज दिया गया है।

पिछले साल याचिकाकर्ता ने इलाके में कथित यातायात जाम के कारण धार्मिक ढांचे के प्रस्तावित विध्वंस के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और इस संबंध में एनडीएमसी के नोटिस को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि मस्जिद 150 साल से अधिक पुरानी है और यह एक विरासत इमारत है जो सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

भाषा नोमान प्रशांत

प्रशांत

 

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