What is CAA? : लोकसभा चुनाव को करीब आते देख भाजपा ने अपनी कमर कस ली है। राम मंदिर के बाद अब भाजपा नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को लेकर बड़ा एलान किया है। बता दें लोकसभा बजट सत्र के दौरान अमित शाह ने साफ कर दिया था कि लोकसभा चुनाव से पहले हमारी सरकार सीएए को लागू करके रहेगी। जिसके बाद अब खबरों में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी एक बड़े दांव के रूप में सीएए को लागू कर सकती है।
केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में बीजेपी के कार्यकर्ताओं के एक बूथ-सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ”मैं सीएए को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की गारंटी दे सकता हूं। इसे पश्चिम बंगाल समेत भारत के सभी राज्यों में लागू कर दिया जाएगा। वो तो आप सब खुद ही देख लेंगे। मैं इस मंच से यह गारंटी दे रहा हूं।”
CAA नागरिकता संशोधन कानून 2019, तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है।
CAA में तीनों पड़ोसी मुल्कों के छह समुदायों – हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इन्हें भारतीय नागरिकता तब मिलेगी जब वे 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर गए हों।
इस विधेयक को 19 जुलाई, 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था और 12 अगस्त, 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमिटी के पास भेजा गया था। कमिटी ने 7 जनवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उसके बाद अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2019 को विधेयक को लोकसभा में पास किया गया। लेकिन उस समय राज्य सभा में यह विधेयक पेश नहीं हो पाया था। इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में सरकार की फिर से नए सिरे पेश करने की तैयारी है। अब फिर से संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद ही यह कानून बन पाएगा।
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