नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के गृह सचिव को यह बताने का निर्देश दिया है कि सबूत दर्ज करने के लिए आरोपियों को अदालत में पेश करने के वास्ते वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाओं का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायालय आर महादेवन की पीठ ने गृह सचिव से इस संबंध में दो हफ्ते में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा।
पीठ ने कहा, “महाराष्ट्र के गृह सचिव को हलफनामा दाखिल कर यह बताने दें कि सबूतों की रिकॉर्डिंग या किसी अन्य उद्देश्य के लिए आरोपियों को अदालत में पेश करने के वास्ते वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाओं का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है?”
उसने कहा, “गृह सचिव हलफनामे में यह भी बताएं कि महाराष्ट्र में ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं या नहीं? हलफनामे में यह भी बताया जाए कि अदालतों और जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कितनी राशि जारी की गई और मौजूदा समय में जमीनी हालात क्या हैं।”
सुनवाई के दौरान जब शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि आरोपी को पेश क्यों नहीं किया गया, तो वह कोई स्पष्टीकरण नहीं दे सके।
सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्देश एक आरोपी की ओर से दायर याचिका पर आया, जिसने दलील दी थी कि उसके मामले की सुनवाई 30 बार स्थगित की गई, क्योंकि उसे अदालत में पेश नहीं किया गया।
भाषा पारुल नरेश
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