पटनाः CM Nitish Kumar Upset to BJP बिहार में इस वक्त राजनैतिक संकट चल रहा है।लगभग ढाई वर्ष से चल रहे भाजपा और JDU के गठबंधन में अब दरार की खबरें सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी की भाजपा के प्रति नाराजगी अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच चुकी है। नीतीश कुमार भाजपा से लगातार नाराज चल रहे हैं। सूत्रो के दावे के अनुसार कि बिहार में बड़ा राजनैतिक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। जेडीयू अध्यक्ष लल्लन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा की धड़कने बड़ा दी है। आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर भाजपा जेडीयू में दरार क्यूं पड़ी, आखिर क्यूं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा से नाराज़ चल रहे हैं। कुछ बड़े कारण जिस वजह से नीतीश और भाजपा में बढ़ी दूरियां…
CM Nitish Kumar Upset to BJP एक बड़ा कारण भाजपा के एक खास बयान को माना जा रहा है जिसमें भाजपा नेता अगले चुनाव में चेहरा बदलने की बात करते हैं। वहीं JDU के एक शीर्ष नेता के अनुसार अचानक भारतीय जनता पार्टी के नेता 2024 और 2025 के चुनाव का राग अलापने लगे थे । वहीं भाजपा की तरफ से लगातार इस बात को कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार केवल 2025 तक ही गठबंधन का चेहरा रहेंगे। इसके बाद NDA गठबंधन का चेहरा बदल जाएगा। कई बार पार्टी के अंदर से यह। बातें भी कही जा रही थी कि अब सरकार में भाजपा से कोई चेहरा होगा। और यह एक खास कारण माना जा रहा है कि इस वजह से नीतीश और भाजपा में दूरियां बड़ी है।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जब से नीतीश CM की कुर्सी पर बैठे हैं तब से नीतीश कुमार लगातार BJP के साथ असहज लग रहे हैं। अभी गठबंधन का कार्यकाल पूरा भी नहीं हुआ कि अलग अलग समय पर उनकी नाराजगी भाजपा के प्रति देखी गई है। चाहे वो केंद्रीय नीतियों का विरोध हो या फिर विधानसभा अध्यक्ष के साथ नोक-झोंक हो। और खास बात यह की जब पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित हुई थी तब बैठक में BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा के इस बयान ने नीतीश की नाराजगी बढ़ा दी थी कि देश से क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। और बचेगी तो सिर्फ़ भाजपा।
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एक मांग शुरआत में जब जेडीयू ने की थी तबसे ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी इस गठबंधन में रोड़ा बनी हुई है।आपको बता दें कि सबसे पहले JDU की तरफ से 4 मंत्री पद मांगे गए थे।लेकिन फिर मुख्यमंत्री को दो पर अड़े रहना पड़ा, लेकिन भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वे सभी सहयोगियों को सिर्फ़ एक सीट देंगे। इसके बाद नीतीश कुमार ने JDU को सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था। और इसके बाद ही असल विवाद शुरू हुआ जब RCP सिंह केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल हो गए। फिर उन पर कई आरोप लगे और उन्हें पार्टी से इस्तीफ़ा देना पड़ा। इसके अलावा कुछ छोटे कारण भी रहे हैं जिन्होंने भाजपा और जदयू के बीच दूरियां बढ़ाई।
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आपको बता दें एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि पिछले दिनों जिस तरह से महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी ड्रामा हुआ और खेल बदला, उसके बाद उद्धव सरकार को जिस तरह से सत्ता से छोड़नी पड़ी उससे कहीं न कहीं जेडीयू चिंतित थी। जेडीयू को यह डर सताने लगा था कि कि बिहार में भी बीजेपी ऑपरेशन लोटस वाला खेल कर देगी।
इसके अलावा माना जाता है कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में जो नीतियां लागू की थी उनमें कई मतभेद हुए थे। चाहे जातीय जनगणना की बात करे या फिर लॉ एंड ऑर्डर या धर्मांतरण कानून और बिहार शरीफ कथित टेरर मॉड्यूल हो इन सभी मुद्दो पर दोनों दलों के बीच मतभेद सामने आए थे और उसके बाद फिर कुछ मुख्य कारण जो हमने ऊपर बताए।
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