Who is Chhagan Bhujbal in Maharashtra politics

About Chhagan Bahujbal: कभी बेचा करते थे सब्जी, आज है अरबों के मालिक, जानें कौन है छगन भुजबल जिन्हे शिंदे ने बना दिया एक झटके में मंत्री?..

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Modified Date: July 2, 2023 / 04:33 PM IST
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Published Date: July 2, 2023 4:33 pm IST

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीती में भारी उलटफेर देखने को मिला है। एनसीपी से बगावत करते हुए दो बड़े नेता अजीत पवार और छगन भुजबल ने एकनाथ शिंदे का दामन थाम लिया। (Who is Chhagan Bhujbal in Maharashtra politics) दोनों नेता महाराष्ट्र की सियासत की धुरी रहे है। दोनों ही नेता मराठा राजनीती के पुराने खिलाड़ी माने जाते रहे है। ऐसे में इन दोनों नेताओं का पाला बदलना महाराष्ट्र समेत पूरे देश की सियासत के लिए बड़ी खबर है। अजीत पवार को डिप्टी सीएम बनाने के साथ ही छगन भुजबल को एकनाथ शिंदे ने मंत्री पद भी दे दिया है। आइये जानते है कौन है छगन भुजबल जिन्हे एक झटके में मंत्री बना दिया गया।

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दरअसल छगन भुजबल महाराष्ट्र की सरकार में बड़े पदों पर रह चुके है। उनके पास महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का भी अनुभव है। भुजबल लोक निर्माण विभाग मंत्री और गृह मामलों के मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं। छगन भुजबल का जन्म 15 अक्टूबर 1947 को हुआ था। वह महाराष्ट्र की येवला सीट से विधायक है। उन्होंने 1999 से 2003 तक डिप्टी सीएम के रूप में काम किया था। महाराष्ट्र में छगन भुजबल ओबीसी समुदाय से आते हैं। बगावत से पहले तक उन्हें एनसीपी प्रमुख शरद पवार का करीबी माना जाता रहा है।

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अगर छगन भुजबल शिंदे की पार्टी या फिर भाजपा का दामन थमते है तो यह उनके लिए यह तीसरी पार्टी होगी। उन्होंने 1960 में शिव सेना से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। राजनीति में आने से पहले वह सब्जियां बेचकर जीवन-यापन करते थे। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, (Who is Chhagan Bhujbal in Maharashtra politics) उन्होंने एक बार सब्जियां बेचने के लिए पैसे उधार लिए थे। सब्जियों की उनकी दुकान भायखला बाजार में थी। वहीं उनकी मां छोटी सी फल की दुकान चलाती थीं।

महाराष्ट्र सदन घोटाले में भी छगन भुजबल का नाम सामने आया था। मुंबई सत्र न्यायालय ने सितंबर 2021 में महाराष्ट्र सदन घोटाले में छगन भुजबल और उनके परिवार के लोगों को बरी किया था। इस दौरान वह महाराष्ट्र के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के मंत्री थे।

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भुजबल पर आरोप लगा था कि उन्होंने 2005-06 के दौरान बगैर टेंडर जारी किए केएस चमनकर इंटरप्राइजेज को ठेका दे दिया था। ईडी ने भी एसीबी की रिपोर्ट के आधार पर भुजबल के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 2016 में ईडी ने भुजबल को गिरफ्तार भी किया था लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2018 में उन्हें जमानत दे दी थी।

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