Budget 2024: 48 लाख करोड़ का बजट केंद्र सरकार पर ही पड़ा भारी! जानें अब कहां से मिलेंगे 16 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज | government loans

Budget 2024: 48 लाख करोड़ का बजट केंद्र सरकार पर ही पड़ा भारी! जानें अब कहां से मिलेंगे 16 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज

government debt: 48 लाख करोड़ का बजट केंद्र सरकार पर ही पड़ा भारी! जानें अब कहां से मिलेंगे 16 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज

Edited By :   Modified Date:  July 25, 2024 / 12:44 PM IST, Published Date : July 25, 2024/12:41 pm IST

central government loans: नई दिल्ली। देश में 7वां बजट पेश होने के बाद जनता से लेकर सियासत तक घमासान मच गया है। बता दें कि यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। बजट में केंद्र ने बताया है कि वो कहां से कितना पैसे कमाएंगी और कहां खर्च करेंगी। दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 के बजट में कुल 48.21 लाख करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान लगाया है और राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।

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सरकार का अनुमान है कि एक साल में वो जो 48.20 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी, उसके लिए 31.29 लाख करोड़ तो टैक्स से आ जाएंगे। लेकिन बाकी का खर्च चलाने के लिए सरकार उधार लेगी। 2024-25 में सरकार 16.13 लाख करोड़ रुपए उधार लेगी। सरकार के खर्च का एक बड़ा हिस्सा उधारी पर लगे ब्याज को चुकाने में ही चला जाता है।

वित्त मंत्री ने इन अहम बातों पर दिया जोर

सरकार की वित्तीय स्थिति को और मजबूत बनाने की राह पर आगे और प्रगति का विश्वास जताते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। उन्होंने कहा चालू वित्त वर्ष में सरकार दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से बाजार से सकल 14.01 लाख करोड़ रुपए का कर्ज जुटायेगी। वर्ष के दौरान जुटाया गया कर्ज शुद्ध रूप में 11.63 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।

सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि 2021 में उन्होंने राजकोष को मजबूत बनाने की जो वृहद योजना प्रस्तुत की, उससे अर्थव्यवस्था की बहुत अच्छी सेवा हुई है, और सरकार अगले वर्ष घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य रखेगी। बुनियादी आर्थिक, सामाजिक और अनुसंधान एवं विकास ढांचे को बढ़ाने की योजनाओं के साथ बजट में 11 लाख 11,111 करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया है जो जीडीपी के 3.4 प्रतिशत के बराबर है। पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों के अनुसार 2023-24 में पूंजीगत व्यय 9.49 लाख करोड़ रुपए था।

पूंजीगत व्यय के लिये राजस्व खाते से दिये गये अनुदानों को जोड़ दें, तो वर्ष के दौरान प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.02 लाख करोड़ रुपए तक रहेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अगले पांच साल तक अवसंरचना विकास को अपना ठोस समर्थन बनाये रखेगी। बजट में राज्यों को अवसंरचना विकास के लिये 1.5 लाख करोड़ रुपए के ब्याज मुक्त दीर्घकालिक ऋण का प्रावधान किया गया है।
बजट में केंद्र सरकार को करों से शुद्ध प्राप्ति प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के चौथे चरण में ग्रामीण इलाकों में 25,000 छोटी बस्तियों तक सड़क पहुंचाने का लक्ष्य है।

कहां से कमाएगी सरकार?

अगर सरकार 1 रुपया कमाएगी तो उसमें 27 पैसा उधारी का होगा। इसके बाद 19 पैसा इनकम टैक्स से, 18 पैसा जीएसटी से और 17 पैसा कॉर्पोरेशन टैक्स से मिलेगा। इसके अलावा 9 पैसा नॉन-टैक्स रेवेन्यू से, 5 पैसा एक्साइज ड्यूटी से, 4 पैसा कस्टम ड्यूटी से और 1 पैसा नॉन-डेट रिसीट से कमाएगी।

कहां खर्च करेगी सरकार?

सरकार के 1 रुपए के खर्च में 19 पैसा ब्याज चुकाने में चला जाएगा। 21 पैसा राज्यों को टैक्स और ड्यूटी में हिस्सा देने में खर्च हो जाएगा। इसके अलावा 16 पैसा केंद्र और 8 पैसा केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में खर्च होगा। 8 पैसा रक्षा, 6 पैसा सब्सिडी और 4 पैसा पेंशन पर खर्च होगा। बाकी का 18 पैसा दूसरे तरह के खर्चों में लगेगा।

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जानिए सरकार को कहां से मिलता है उधार?

central government loans: अब आप सोचते होंगे कि इतने लाखों करोड़ों रुपयों को सरकार कहां से और कैसे मैनेज करती है। अकसर लोगों में यह सवाल उठता ही है कि सरकार तो सरकार है, उसे उधार लेने की क्या जरूरत? और अगर उधार ले भी रही है तो कहां से? इसका जवाब है कि सरकार के पास उधार लेने के दर्जनों रास्ते हैं। चलिए आपको बताते चलते हैं कि एक होता है देसी कर्ज, जिसे इंटरनल डेट भी कहा जाता है। इसमें सरकार बीमा कंपनियों, कॉर्पोरेट कंपनियों, आरबीआई और दूसरे बैंकों से कर्ज लेती है।

दूसरा होता पब्लिक डेट यानी सार्वजनिक कर्ज, जिसमें ट्रेजरी बिल, गोल्ड बॉन्ड और स्मॉल सेविंग स्कीम होती हैं। सरकार आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और दूसरे अंतर्राष्ट्रीय बैंकों से भी कर्ज लेती है, जिसे विदेशी कर्ज या एक्सटर्नल डेट कहा जाता है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर सरकार सोना गिरवी रखकर भी कर्ज ले सकती है। जैसे 1990 में सरकार ने सोना गिरवी रखकर उधार लिया था।

 

 

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