उदयपुर : उदयपुर हत्या के मामलें में एक बड़ा खुलासा हुआ है। निर्मम घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों का संबंध ‘दावत-ए-इस्लामी’ संगठन से बताया जा रहा है। ‘दावत-ए-इस्लामी’ एक ऐेसा इस्लामी संगठन हैं, जो पैगंबर साहब के संदेशो का प्रचार प्रसार करते है। इस संगठन की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है।
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उदयपुर में टेलर की निर्मम हत्या करने वाले आरोपियों ने वीडियो जारी करके कहा था कि यह इस्लाम और पैगंबर के अपमान का बदला है। ऐसे में आईए जानते हैं कि दावत-ए-इस्लामी का गठन कब और क्यों हुआ था?
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1989 में पाकिस्तान से उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। साल 1989 में उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। इसी के बाद ‘दावत-ए-इस्लामी’ संगठन को लेकर चर्चा तेज हो गई थी। 90 के दशक में हाफिज अनीस अत्तारी ने अपने 17 साथियों के साथ मिलकइ इस संगठन की नींव रखी और अपने संदेशों के विस्तार के लिए सालाना इज्तिमा (जलसा) भी करता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं।
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दावत ए इस्लामी संगठन पिछले तीन दशक से सक्रिय हैं। शरिया कानून का प्रचार प्रसार कर उसकी नीति को लागू करना इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य रहा। दावत-ए-इस्लामी का अपना एक आधिकारिक वेबसाइट है, जो 32 से ज्यादा इस्लामी कोर्स चलाता है जिन्हें ऑनलाइन किया जा सकता है। इस संगठन पर कई बार धर्मांतरण के आरोप भी लगे हैं।
बता दें कि दो युवक मंगलवार को कन्हैयालाल की दुकान पर कपड़े सिलवाने के बहाने आए और बेहरमी से गला रेत कर उसकी हत्या कर दी। राजस्थान एसआईटी ने इस मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिसमें एक नाम मोहम्मद रियाज और दूसरा आरोपी ग़ौस मोहम्मद है।
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