INDIA गठबंधन की सरकार बनने के चांस कितने? इन चर्चाओं में कितना है दम |

INDIA गठबंधन की सरकार बनने के चांस कितने? इन चर्चाओं में कितना है दम

Lok sabah election results 2024 : तेलुगुदेशम पार्टी और जेडीयू का महत्व बढ़ जाएगा। ये लोग एनडीए से सौदेबाजी कर सकते हैं। इसके साथ ही इंडिया गुट भी इन लोगों से सौदा कर सकता है। क्योंकि 2004 में एनडीए के कई साथी छिटककर यूपीए के पाले में चले गए थे।

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Modified Date: June 5, 2024 / 03:06 PM IST
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Published Date: June 5, 2024 3:00 pm IST

नई दिल्ली: Lok sabah election results 2024 : ज​ब किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो ऐसी स्थिति में गठबंधन सरकार बनती है। कहने को तो बीजेपी एनडीए के साथ अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में भी गठबंधन सरकार ही चला रही थी। लेकिन इस अवधि में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत था। जिसकी वजह से सरकार मजबूत थी और मनमाफिक फैसले ले सकती थी। लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों में ही किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं है।

राजनीति में असीम संभावनाएं होती है। जब प्रचंड बहुमत किसी दल को न मिले तो ये संभावनाएं ज्यादा ही बढ़ जाती हैं। चुनाव परिणाम के बाद यह साफ हो गया है कि बीजेपी को बहुमत तो नहीं मिला लेकिन एनडीए गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिल गया है। वहीं इंडिया गठबंधन जिस तरह से अपनी लड़ाई लड़ी है, उससे संभावनाएं अभी उसके लिए खत्म नहीं हुईं हैं।

इस बीच शरद पवार का बयान सामने आया कि वो केंद्र में सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशेंगे। सोशल मीडिया में तरह तरह की चर्चाएं चल रही हैं। इसके साथ ही नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को लेकर कहा जा रहा है कि वो कभी भी पलटी मार सकते हैं। हालांकि जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा है कि नीतीश कुमार एनडीए में थे और एनडीए में ही रहेंगे। लेकिन आजकल किसी पर पूरा विश्वास करना भी कई बार सही साबित नहीं होता। एनडीए के लिए कठिन समय है, हालांकि भाजपा हर हाल में कोशिश करेगी कि वो फिर से सरकार बनाए लेकिन सवाल यह कि क्या ऐसा हो पाएगा? ये सवाल उठ रहे हैं।

एनडीए की संभावनाओं पर लग सकता है ग्रहण?

Lok sabah election results 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों में एनडीए को बहुमत मिल गया है। भाजपा के नेतृत्व वाली NDA 292 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है। INDIA ब्लॉक भी 233 सीटों के साथ बीते चुनाव के मुकाबले कहीं बेहतर करता नजर आ रहा है। बात यह है कि बीजेपी अकेले अपने दम पर 272 का बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल नहीं हुई। जिसकी वजह से भाजपा को अपने सहयोगी TDP, JDU जैसे दलों पर निर्भर रहना पड़ेगा।

ऐसे में भाजपा के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह अपने सहयोगियों को न सिर्फ साथ रखे, बल्कि उन्हें साधे भी रहे। क्यों कि बीजेपी को अगर इनके सहारे सरकार बनाए रखना है तो निश्चित है कि उनकी रहमो करम पर रहना होगा। चुनाव आयोग के अनुसार एनडीए के सहयोगी तेलुगुदेशम पार्टी 16 सीटों पर और जेडीयू 12 सीटों पर चुनाव जीत चुकी है। इसी तरह लोजपा 5 सीटों पर, जेडीएस 2 पर, आरएलडी 2 पर, एनसीपी 1 पर, शिवसेना शिंदे 7 सीट पर चुनाव जीते हैं। जाहिर है कि तेलुगुदेशम पार्टी और जेडीयू का महत्व बढ़ जाएगा। ये लोग एनडीए से सौदेबाजी कर सकते हैं। इसके साथ ही इंडिया गुट भी इन लोगों से सौदा कर सकता है। क्योंकि 2004 में एनडीए के कई साथी छिटककर यूपीए के पाले में चले गए थे।

नीतीश बाबू और चंद्रबाबू इंडिया गुट में आ गए तो?

चुनाव परिणाम में ऐसी करीब 17 सीटें है जो उन लोगों को मिल रही हैं जो अभी तक न इंडिया में थे न ही एनडीए में थे। जाहिर है ये लोग किसी भी तरफ जा सकते है। अब मान लिया जाए कि वो मैंडेट को ध्यान में रखते हुए इंडिया की ओर चले जाते हैं तो क्या होगा? इसके साथ ही एनडीए में नीतीश और चंद्रबाबू नायडू मिलकर 28 सीट लेकर लाए हैं। अगर नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू को पीएम और डिप्टी पीएम का ऑफर मिलता है तो ये लोग इंडिया गुट की ओर आ सकते हैं। इस तरह दोनों गठबंधनों की सीट संख्या 262 हो जाएगी, यानि कि टाई की पोजीशन में दोनों गठबंधन पहुंच जाएंगे। ऐसे समय में जो 17 सीट अन्य की हैं वो किंग मेकर हो जाएंगे। जाहिर है कि उनमें से कुछ एनडीए की ओर जाएंगे तो कुछ इंडिया गुट की ओर आएंगे।

इस बीच शरद पवार ने बताया कि कल बुधवार को INDIA ब्लॉक की दिल्ली में बैठक है, जिसमें फैसला होगा कि आगे क्या करना है। अगर नायडू या नीतीश कुमार के रुख में किसी भी तरह का बदलाव होता है तो NDA को सरकार बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जिसकी संभावनाएं 50-50 है।

पीएम पद की दावेदारी पर उलझेगा इंडिया गठबंधन?

चुनाव परिणामों में समाजवादी पार्टी को यूपी में 37 सीट और कांग्रेस को 6 सीटे मिली हैं। वहीं बीजेपी को 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। दूसरी ओर ममता बनर्जी को बंगाल में 29 सीटें मिली हैं। इस तरह इंडिया गुट में दूसरे नंबर के ताकतवर बन कर अखिलेश यादव उभरे हैं। ममता की सीटें उन्हें तीसरे नंबर का नेता बना रही हैं। जाहिर है कि अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षाएं भी कम नहीं होंगी। अखिलेश यादव और ममता भी अपने को पीएम पद का दावेदार घोषित कर सकते हैं।

दरअसल आज कल सीट संख्या सबसे बड़ी पोस्ट के लिए जरूरी नहीं रह गया है, बिहार में नीतीश कुमार कई साल से सहयोगी पार्टियों से कम सीट होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनते रहे हैं। इसी प्रकार महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सबसे बड़ी पार्टी से होते हुए भी डिप्टी सीएम बने हुए हैं।

क्या उद्धव की तरह एनडीए में कोई जिद कर सकता है?

अब हम 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में चलते हैं जब साथ लड़कर चुनाव जीतने के बाद एनडीए ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था। पर सीएम की कुर्सी के लिए उद्धव ठाकरे ने जिद पकड़ ली थी। अगर वैसा ही कुछ एक बार फिर पीएम बनने के लिए हो जाए तो? उद्धव ठाकरे ने शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सीएम बन गए थे। लेकिन वो भी बहुत ज्यादा टिक नहीं सके। इसी तरह इस बार केंद्र में दोनों ही गठबंधनों में कोई भी दल जिद पकड़ सकता है। जो फिर कहानी कुछ और होगी लेकिन ऐसा होने के चांस बहुत ही कम हैं। फिलहाल देश में तीसरी बार मोदी के पीएम बनने की संभावनाएं अब भी सबसे ज्यादा ही है।

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