संविधान सभा की सार्थक संवाद की उत्कृष्ट परंपरा को हमें सदनों में अपनाना चाहिए: बिरला |

संविधान सभा की सार्थक संवाद की उत्कृष्ट परंपरा को हमें सदनों में अपनाना चाहिए: बिरला

संविधान सभा की सार्थक संवाद की उत्कृष्ट परंपरा को हमें सदनों में अपनाना चाहिए: बिरला

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Modified Date: November 26, 2024 / 11:39 AM IST
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Published Date: November 26, 2024 11:39 am IST

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि संविधान सभा की सार्थक एवं गरिमापूर्ण संवाद की उत्कृष्ट परंपरा को संसद के दोनों सदनों में अपनाया जाना चाहिए।

उन्होंने संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में यह भी कहा कि हमारा संविधान देश में सामाजिक-आर्थिक बदलावों का सूत्रधार रहा है।

इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केंद्रीय मंत्री तथा दोनों सदनों सदस्य मौजूद थे।

बिरला ने कहा, ‘‘आज हमारे देश के लिए असीम गौरव का दिन है। 75 वर्ष पहले आज ही के दिन इस पवित्र स्थान पर हमारे संविधान को अंगीकृत किया गया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2015 में हमने हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था ताकि वर्तमान पीढ़ी को, विशेष रूप से युवाओं को हमारे संविधान में निहित मूल्यों, आदर्शों, कर्तव्यों और दायित्वों से जोड़ा जाए।’’

बिरला ने कहा, ‘‘हमारा संविधान हमारे मनीषियों के वर्षों के तप, त्याग, विद्वता, सामर्थ्य और क्षमता का परिणाम है। इसी केन्द्रीय कक्ष में 2 वर्ष, 11 महीने, 18 दिनों के कठिन परिश्रम के बाद उन्होंने देश की भौगोलिक और सामाजिक विविधताओं को एक सूत्र में बांधने वाला संविधान बनाया। हमारे इस संविधान ने हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को आकार दिया है।’’

उन्होंने उल्लेख किया, ‘‘संविधान सभा में अलग अलग विचारधारा वाले सदस्य थे। इसके बावजूद उन्होंने एक-एक अनुच्छेद पर विचार मंथन किया, पूरी गरिमा और मर्यादा से अपनी सहमति – असहमति व्यक्त करते हुए हमारे संविधान की रचना की। सार्थक एवं गरिमापूर्ण संवाद की इसी उत्कृष्ट परंपरा को हमें अपने सदनों में अपनाना चाहिए।’’

बिरला ने कहा, ‘‘हमारा संविधान देश में सामाजिक-आर्थिक बदलावों का सूत्रधार रहा है। इसमें नागरिकों के लिए मौलिक अधिकारों के साथ उनके कर्तव्यों का भी प्रावधान है ताकि कर्तव्यकाल में हम सामूहिक प्रयासों व संकल्प से मजबूती के साथ आगे बढ़ें।’’

उनके अनुसार, भारतीय संविधान की सबसे बड़ी विशेषता इसकी परिवर्तनशीलता है तथा जनता की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को प्रतिबिंबित करते हुए कई महत्वपूर्ण संविधान संशोधन किए गए।

बिरला ने कहा, ‘‘इन 75 वर्षों में इसी संविधान के मार्गदर्शन में हमारी संसद के माध्यम से आम जनता के जीवन में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन लाए गए हैं जिससे लोकतंत्र में जनता की आस्था मजबूत हुई है। संसद के नए भवन के निर्माण ने राष्ट्र की समृद्धि और सामर्थ्य को नई गति और शक्ति प्रदान की है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संविधान कानूनी मार्गदर्शक मात्र नहीं है, बल्कि यह एक समग्र सामाजिक दस्तावेज भी है। संविधान ने हमारे लोकतंत्र के तीनों स्तंभों, “विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका” को आपसी समन्वय के साथ सुचारु रूप से कार्य करने की व्यवस्था दी है। इन 75 वर्षों में इन तीनों अंगों ने श्रेष्ठता से कार्य करते हुए देश के समग्र विकास में अपनी भूमिका निभाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी माननीय सांसदों से अनुरोध करूंगा कि वे अपने अपने क्षेत्रों में संविधान के अंगीकार होने के 75वें वर्ष को जनता की सहभागिता से एक उत्सव के रूप में मनाएं, जिससे राष्ट्र प्रथम की भावना और अधिक सुदृढ़ हो।’’

भाषा हक हक मनीषा

मनीषा

 

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