ग्लेशियरो, पेड़-पौधों और प्रकृति की रक्षा के लिए मतदान करना होगा: सोनम वांगचुक |

ग्लेशियरो, पेड़-पौधों और प्रकृति की रक्षा के लिए मतदान करना होगा: सोनम वांगचुक

ग्लेशियरो, पेड़-पौधों और प्रकृति की रक्षा के लिए मतदान करना होगा: सोनम वांगचुक

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Modified Date: January 17, 2025 / 11:05 AM IST
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Published Date: January 17, 2025 11:05 am IST

कोलकाता, 17 जनवरी (भाषा) जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लोगों से पर्यावरण के मुद्दों पर मतदान करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने का आग्रह करते हुए कहा कि ग्लेशियरों को पिघलने से रोकने, पौधों को बचाने और प्रकृति मां की रक्षा के लिए वोट डाला जाना चाहिए।

लद्दाख के छात्रों के शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन के संस्थापक-निदेशक, 58 वर्षीय हरित कार्यकर्ता वांगचुक ने बृहस्पतिवार को शहर में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘आदर्श रूप से, हमारे पास विधायी और संसदीय निकायों में ऐसे जनप्रतिनिधि होने चाहिए जो पर्यावरण और जलवायु मुद्दों पर निरंतर और अधिक सक्रियता से काम करें।’’

उन्होंने नागरिकों को ‘‘लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करने तथा मतपत्र (ईवीएम) का उपयोग करने’’ के लिए प्रोत्साहित किया।

एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘प्रकृति, लद्दाख और जलवायु परिवर्तन पर चिंतन: सोनम वांगचुक के साथ बातचीत’ में वांगचुक से पूछा गया कि क्या वे अपने हरित मिशन में किसी राजनीतिक दल का समर्थन करेंगे?

उन्होंने कहा ‘‘मैं कहूंगा कि अगर (पर्यावरण को बचाने में) कोई बदलाव नहीं होता है, तो सरकार को बदलना होगा। लेकिन हर पार्टी को हरित पार्टी में बदलना चाहिए, बजाय इसके कि लोग व्यक्तिगत रूप से किसी बड़े राजनीतिक नेता से संपर्क करें। यही हमारा मिशन होना चाहिए।’’

वर्ष 2009 में आई आमिर खान की फिल्म ‘3 इडियट्स’ में फुनसुख वांगडू के काल्पनिक चरित्र की प्रेरणा देने के लिए चर्चित वांगचुक ने कहा कि किसी भी उचित कारण और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लंबे समय में वांछित परिणाम देती है।

रामन मैगसायसाय पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरण कार्यकर्ता ने कहा ‘‘केवल 150 साल पहले, अमेरिका में गोरों के एकमात्र अधिकार क्षेत्र से लंबी लड़ाई के बाद अश्वेतों के मतदान के अधिकार समुदाय द्वारा छीन लिए गए थे। इसी तरह, भारत में 1920 के दशक में महिलाओं के अधिकार दिए गए थे, और वर्तमान में महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखना अकल्पनीय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, हम एक ऐसे दिन का इंतजार कर रहे हैं जब संसदीय चुनावों में जलवायु और पारिस्थितिकी के मुद्दों को उचित मान्यता देना एक अहम मुद्दा बन जाएगा। एक ऐसा मुद्दा, जिसे हर पार्टी और दावेदार उठाएंगे और यह मुद्दा मतदाताओं के दिमाग में वोट डालते समय भी रहेगा।’’

इंजीनियर से नवोन्मेषक-शिक्षा सुधारक बने वांगचुक ने कहा कि वह पर्यावरण को बचाने के अपने मिशन को साकार करने के लिए राजनेता या मंत्री नहीं बनना चाहते।

भाषा मनीषा रंजन

रंजन

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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