वक्फ समिति ने कर्नाटक, मप्र, राजस्थान के अधिकारियों को जानकारी देने के लिए 15 दिन का समय दिया |

वक्फ समिति ने कर्नाटक, मप्र, राजस्थान के अधिकारियों को जानकारी देने के लिए 15 दिन का समय दिया

वक्फ समिति ने कर्नाटक, मप्र, राजस्थान के अधिकारियों को जानकारी देने के लिए 15 दिन का समय दिया

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Modified Date: December 26, 2024 / 07:03 PM IST
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Published Date: December 26, 2024 7:03 pm IST

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति ने कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों से संबंधित जानकारी मुहैया कराने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष बृहस्पतिवार को इन तीनों राज्यों के अल्पसंख्यक मामलों के प्रमुख सचिव तथा राजस्व सचिव उपस्थित हुए।

पाल के अनुसार, इन अधिकारियों द्वारा वक्फ संपत्तियों से संबंधित सवालों का जवाब बृहस्पतिवार को नहीं दिया जा सका, ऐसे में उन्हें 15 दिन का समय दिया है।

उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि इन अधिकारियों को प्रश्नावली दी गई है और जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उन्हें फिर से बुलाया जा सकता है।

पाल का कहना है कि समिति जल्द ही पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश का दौरा करेगी।

संयुक्त समिति की बैठक के बाद उन्होंने बताया, ‘‘मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान के अल्पसंख्यक मामलों के विभागों के प्रमुख सचिवों और राजस्व सचिवों को बुलाया था। हमने उनसे पहले सवाल भी किया था कि कितनी वक्फ संपत्तियां पंजीकृत हैं, ‘वामसी’ पोर्टल पर कितनी संपत्तियां अपलोड हुई हैं, कितनी संपत्तियां पोर्टल पर अपलोड नहीं हैं, संपत्तियों से कितनी आय हो रही है?’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने इन अधिकारियों को जवाब के लिए बुलाया था। आज भी जवाब नहीं मिला। उन्हें और समय दिया है।’’

पाल ने बताया, ‘‘हम टूर पर जाएंगे। पश्चिम बंगाल, बिहार, लखनऊ जाना है। सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर जाने के लिए भी कहा है। इस बारे में हम लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति लेंगे।’’

सूत्रों के अनुसार, समिति के अध्यक्ष पाल ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कर्नाटक से पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है।

कर्नाटक में कुछ किसानों की जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे से जुड़ा विवाद हाल में खड़ा हुआ था।

संयुक्त समिति की बैठक शुक्रवार को भी होगी।

दिल्ली के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन भी शुक्रवार को समिति के समक्ष अपने विचार रखने वाले हैं और इसके बाद दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश और ओडिशा के अधिकारी भी समिति के समक्ष उपस्थित होंगे।

लोकसभा ने गत 28 नवंबर को इस संयुक्त समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाने की मंजूरी दी थी।

सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।

इस विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव रखा गया है, जिनमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है।

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक में यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं।

यह संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।

भाषा हक

हक माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)