कोलकाता, 17 सितंबर (भाषा) विश्वभारती विश्वविद्यालय ने देश की सीमांत भाषाओं के अध्ययन और विश्लेषण हेतु कुछ आदिवासी समुदायों के लिए शब्दकोश प्रकाशित किए हैं। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
ये शब्दकोश और अन्य पुस्तकें विश्वविद्यालय के लुप्तप्राय भाषा केंद्र (सीएफईएल) विभाग द्वारा कोडा, महाली और कुरुख समुदायों के लिए प्रकाशित की गई हैं। इन शब्दकोश और पुस्तकों को बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी सहित 10 से अधिक भाषाओं के साथ जोड़ा गया है।
ये शब्दकोश सीएफईएल की आधिकारिक वेबसाइट और एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर मोबाइल एप्लिकेशन पर भी उपलब्ध हैं।
अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय के इस केंद्र ने अब तक 19 पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें बिरहोर समुदाय के लिए व्याकरण शामिल हैं।
इनमें से कुछ पुस्तकों का विमोचन हाल ही में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई), नयी दिल्ली और विश्वभारती द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान किया गया।
इस संगोष्ठी का उद्घाटन केन्द्रीय विश्वविद्यालय विश्वभारती के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर बिनॉय कुमार सरेन ने किया था, जो विश्वविद्यालय के प्रथम आदिवासी कुलपति हैं।
भाषा रवि कांत रवि कांत अविनाश
अविनाश