संभल (उप्र), 30 जनवरी (भाषा) संभल में वर्ष 1978, 1986 और 1992 में हुए दंगों के पीड़ितों ने उन वारदात की जांच के लिये न्यायिक आयोग गठित करने की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को इस सिलसिले में उप जिलाधिकारी को एक ज्ञापन दिया।
संभल में पिछले साल 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले की जांच के लिये गठित न्यायिक आयोग के सदस्यों द्वारा लोक निर्माण विभाग के अतिथि गृह में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। इस बीच वर्ष 1978, 1986 और 1992 में संभल में हुए दंगों के पीड़ित अनेक लोग के साथ जुलूस के रूप में अतिथि गृह पहुंचे और उप जिलाधिकारी वंदना मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा।
उप जिलाधिकारी मिश्रा ने बताया कि संभल में पूर्व में हुए दंगों के पीड़ितों ने उन घटनाओं की जांच के लिये न्यायिक आयोग के गठन की मांग करते हुए इस सिलसिले में एक ज्ञापन सौंपा है, जिसे आयोग को दे दिया जाएगा।
वर्ष 1978 में संभल में हुए दंगे के पीड़ित मनोज कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि फसाद के दौरान उनके दादा किशन सिंह और दादी नरेनी को जिंदा जला दिया गया था।
उन्होंने बताया कि इस मामले में उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है तथा सरकार इन दंगों की न्यायिक जांच के लिये एक आयोग का गठन करके असलियत को सामने लाए।
इसके अलावा 1978 के ही दंगों के पीड़ित विष्णु शंकर रस्तोगी ने कहा कि उस दंगे में उनकी दुकान जला दी गई थी जिससे उन्हें बहुत बड़ा नुकसान हुआ था, मगर उन्हें सिर्फ 200 रुपये का मुआवजा मिला था।
उन्होंने मांग की कि उन्हें हुए नुकसान का पुनर्निर्धारण किया जाए और सरकार 1978 के दंगों की जांच दुबारा कराए।
उप जिलाधिकारी वंदना मिश्रा ने बताया कि संभल में पिछली 24 नवम्बर को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में चार लोग मारे गये थे तथा अनेक अन्य जख्मी हो गये थे।
उनके मुताबिक, मामले की जांच के लिये सरकार ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश देवेंद्र अरोड़ा की अगुवाई में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित किया था।
उन्होंने बताया कि इस मामले में आयोग की टीम इससे पहले गत 21 जनवरी को संभल आयी थी और बयान दर्ज किये थे।
भाषा सं. सलीम नोमान
नोमान
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)