फिल्म समीक्षक-लेखिका अरुणा वासुदेव का 88 वर्ष की आयु में निधन |

फिल्म समीक्षक-लेखिका अरुणा वासुदेव का 88 वर्ष की आयु में निधन

फिल्म समीक्षक-लेखिका अरुणा वासुदेव का 88 वर्ष की आयु में निधन

:   Modified Date:  September 5, 2024 / 03:48 PM IST, Published Date : September 5, 2024/3:48 pm IST

नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) प्रख्यात फिल्म समीक्षक और लेखिका अरुणा वासुदेव का बृहस्पतिवार की सुबह उम्र संबंधी बीमारी के कारण यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। उनकी करीबी दोस्त नीरजा सरीन ने यह जानकारी दी।

वासुदेव 88 वर्ष की थीं। वह पिछले तीन हफ्ते से यहां एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती थी।

सरीन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “वह कुछ समय से अस्वस्थ थीं। उन्हें अल्जाइमर था और वह वृद्धावस्था से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी पीड़ित थीं। आज सुबह अस्पताल में उनका निधन हो गया।”

वासुदेव की शादी राजनयिक सुनील रॉय चौधरी से हुई थी। उनकी बेटी यामिनी रॉय चौधरी राजनीतिक नेता वरुण गांधी की पत्नी हैं।

उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाना है।

वासुदेव ने समीक्षक, लेखिका, संपादक, चित्रकार, वृत्तचित्र निर्माता व ट्रस्टी के साथ-साथ एशियाई सिनेमा के पथप्रदर्शक के रूप अपनी पहचान बनाई।

दिल्ली की रहने वाली वासुदेव “सिनेमाया: द एशियन फिल्म क्वार्टरली” की संस्थापक-संपादक थीं। उन्हें 29 साल पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ‘नेटपैक’ की स्थापना का श्रेय भी दिया जाता है, जो एशियाई फिल्मों के लिए काम करने वाला एक विश्वव्यापी संगठन है।

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने वासुदेव के निधन पर शोक व्यक्त किया।

वरिष्ठ अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा कि वह वासुदेव के निधन के बारे में सुनकर “दुखी”हैं।

आज़मी ने कहा, “ वह एशियाई फिल्मों की एक ऐसी शैली बनाने में अग्रणी थीं, जिसके बारे में अलग से बात की जा सके। उनके नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं, लेकिन मैं उन्हें हमेशा उनकी गर्मजोशी और मुस्कान के लिए उन्हें याद रखूंगी। उनकी टिप्पणियां हमेशा व्यावहारिक होती थीं और मुझे उनके साथ रहना बहुत अच्छा लगता था। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं। प्रिय अरुणा की आत्मा को शांति मिले।”

फिल्म समीक्षक और लेखिका नम्रता जोशी ने कहा, ‘फिल्मों के लिए अरुणा वासुदेव को धन्यवाद।’

जोशी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “80-90 के दशक में दिल्ली में पले-बढ़े लोगों के लिए, विश्व सिनेमा – खासकर एशिया और अरब जगत का सिनेमा पहली बार हमारे घर आने का कारण अरुणा और लतिका पडगांवकर द्वारा सिनेफैन फिल्म महोत्सव और सिनेमाया पत्रिका के माध्यम से किए गए अथक प्रयास थे।”

फिल्म निर्माता सानिया हाशमी ने लिखा, “अरुणा मैम, आपकी आत्मा को शांति मिले… दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ फिल्म समारोहों में से एक का आयोजन करने के लिए आपका धन्यवाद। आपकी वजह से हममें से बहुत से लोगों का बेहतरीन विश्व सिनेमा से परिचय हुआ।”

वासुदेव ने लगभग 20 वृत्तचित्रों का निर्देशन किया या वह उनकी निर्माता रहीं तथा कई पुस्तकों का संपादन या सह-संपादन किया, जिनमें ज्यां-क्लाउड कैरियर की ‘इन सर्च ऑफ महाभारत: नोट्स ऑफ ट्रैवल्स इन इंडिया विद पीटर ब्रुक” का फ्रेंच से अंग्रेजी में अनुवाद भी शामिल है।

वह ‘एलायंस फ्रांसेइस डी दिल्ली’ की बोर्ड सदस्य भी थीं, जो फ्रेंच भाषा और संस्कृति से संबंधित एक प्रमुख भारत-फ्रांसीसी सांस्कृतिक केंद्र है।

सिनेमा और कला के क्षेत्र में उनके योगदान को फ्रांस सरकार ने सराहा और उन्हें पुरस्कृत किया था।

भाषा

नोमान मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)