नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि मादक पदार्थ की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों को मुकदमे के समापन के बाद तब जब्त किया जा सकता है, जब आरोपी को दोषी ठहराया जाता है या बरी कर दिया जाता है या उसे आरोप-मुक्त कर दिया जाता है।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि जब्त वाहनों की अंतरिम रिहाई के खिलाफ स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है, बशर्ते मालिक अपराध में शामिल न हो।
पीठ ने कहा, ‘‘एनडीपीएस अधिनियम को पढ़ने के बाद, इस अदालत का मानना है कि पकड़े गये वाहनों को निचली अदालत द्वारा केवल तभी जब्त किया जा सकता है, जब आरोपी को दोषी ठहराया जाता है या बरी कर दिया जाता है या उसे आरोपमुक्त कर दिया जाता है।”
इसके अलावा, जब अदालत यह निर्णय लेती है कि वाहन को जब्त किया जाना चाहिए, तो उसे वाहन के मालिक को सुनवाई का अवसर देना चाहिए।
पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि पकड़े गये वाहन को जब्त नहीं किया जा सकता, यदि उसका मालिक यह साबित कर दे कि वाहन का इस्तेमाल आरोपी व्यक्ति ने उनकी जानकारी या मिलीभगत के बिना किया था और उन्होंने दुरुपयोग के खिलाफ सभी एहतियाती कदम उठाए थे।
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