नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण और उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को लेकर सोमवार को लोकसभा में हंगामा हुआ, जिसके कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को चार फीसदी आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाने का प्रयास किया तो समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसदों ने उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा से जुड़े विषय को लेकर हंगामा किया।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के ‘संविधान बदलने’ वाले एक कथित बयान का उनका नाम लिए बगैर हवाला देते हुए कहा कि यदि कांग्रेस संविधान में विश्वास करती है तो उसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को बर्खास्त करना चाहिए।
इन दोनों विषयों पर हंगामे के चलते पहले लोकसभा की कार्यवाही सुबह शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही दोपहर 12 बजे तक और फिर अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
लोकसभा की कार्यवाही सोमवार को शुरू होने पर सपा के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा के विषय को उठाने का प्रयास किया। सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण के विषय को उठाने की कोशिश की।
हंगामे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शिक्षकों की कमी से संबंधित विषय पर पूरक प्रश्न पूछने के लिए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सदस्य शांभवी का नाम लिया।
इसी दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव और कुछ सदस्यों को पोस्टर लहराते हुए देखा गया। वे महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दे पर कुछ कहने का प्रयास कर रहे थे और शोर-शराबा कर रहे थे।
पोस्टर दिखा रहे सदस्यों के प्रति नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष बिरला ने कहा कि वह सदन में पोस्टर नहीं दिखाएं और कार्यवाही में सहयोग करें।
उन्होंने कहा, ‘‘पोस्टरबाजी नहीं करें। जो सदस्य पोस्टरबाजी करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई करुंगा।’’
बिरला ने कहा, ‘‘नए सदन में पहले ही व्यवस्था दी जा चुकी है कि कोई भी सदस्य पोस्टर, पर्चे लेकर आएंगे या ऐसा अमर्यादित व्यवहार और आचरण करेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’
अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री इन सदस्यों के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आएं नहीं तो ‘‘मुझे कार्रवाई करनी होगी’’।
इस दौरान बिहार के समस्तीपुर से सांसद शांभवी शोर-शराबे में अपना पूरक प्रश्न नहीं पूछ सकीं।
भाजपा के कुछ सदस्य भी कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण संबंधी मुद्दा उठाना चाह रहे थे, लेकिन अध्यक्ष बिरला ने उन्हें शून्यकाल में बोलने की अनुमति देने का आश्वासन दिया।
हंगामा नहीं थमने पर बिरला ने सदन की कार्यवाही कुछ मिनट के भीतर ही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही पुन: शुरू होने पर संसदीय कार्य मंत्री रीजीजू ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में जो आवाज उठाई जा रही हैं, वो गंभीर मुद्दा है।
उन्होंने शिवकुमार का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति कहता है कि मुसलमानों को आरक्षण दिया जाएगा और संविधान बदला जाएगा…भारत के संविधान में धर्म के नाम पर कोई आरक्षण नहीं हो सकता।’’
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी से कहना चाहता हूं कि अपना पक्ष स्पष्ट करें। अगर आप बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान में विश्वास करते हैं तो जिसने बयान दिया है, उसे तत्काल बर्खास्त कीजिए।’’
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस बाबासाहेब का नाम लेकर और संविधान की प्रति जेब में रखकर नाटक करती है।
रीजीजू ने कहा, ‘‘यदि उस व्यक्ति को बर्खास्त नहीं किया गया तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। संविधान की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।’’
पीठासीन सभापति जगदंबिका पाल ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने गंभीर बात कही है।
उन्होंने सदन में व्यवस्था बनाए जाने की अपील की। हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने दोपहर 12 बजकर पांच मिनट पर सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कर्नाटक विधानसभा ने बीते शुक्रवार को विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कड़े विरोध के बीच सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया।
राज्य मंत्रिमंडल ने ‘कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता’ (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी, जिसके तहत दो करोड़ रुपये तक के (सिविल) कार्यों और एक करोड़ रुपये तक के माल/सेवा खरीद अनुबंध में मुसलमानों को चार प्रतिशत का आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सात मार्च को पेश किए गए 2025-26 के लिए राज्य के बजट में इसकी घोषणा की थी।
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